Mathura Vrindavan Hariyali Teej: बृज में हरियाली तीज की धूम देखने को मिल रही है. ठाकुर बांकेबिहारी मन्दिर में हिंडोला उत्सव मनाया जा रहा है, जिसमें स्वर्ण-रजत हिंडोले में ठाकुर बांके बिहारी विराजमान हुए हैं. साल में केवल एक बार ही हरियाली तीज के उत्सव पर बांकेबिहारी हिंडोला झूलते हैं. आप देख सकते हैं कि कि ज़री वर्क और रत्न जड़ित कपड़े से सुशोभित, स्वर्ण-रजत आभूषण धारण कर हिंडोले पर ठाकुर बांकेबिहारी विराजमान हुए हैं. हरे रंग की पोशाक धारण कर भक्तों को दर्शन दे रहे हैं ठाकुर जी. देखें खूबसूरत तस्वीरें...
जग प्रसिद्ध ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में रविवार को हरियाली तीज का पावन पर्व हिंडोला उत्सव के रूप में प्रतिवर्ष की भांति हर्षोल्लास से मनाया गया. इस मौके पर श्रद्धालु भक्तों ने स्वर्ण-रजत हिंडोले में विराजमान ठाकुर बांकेबिहारी के दर्शन कर स्वयं को धन्य किया.
वैसे तो हरियाली-तीज पर बृज के सभी प्रमुख मंदिरों में झूलनोत्सव के अंतर्गत झूले सजाये जाते हैं और ठाकुरजी को झूला झुलाकर प्राचीन परंपरा का निर्वहन किया जाता है. लेकिन, बृज के प्रसिद्ध हरियाली तीज पर्व की विशेष धूम जग प्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर में दिखाई दी.
यहां प्रातः काल से ठाकुर बांके बिहारी लाल को मंदिर के गर्भ-गृह से बाहर निकालकर करीब 32 फुट चौड़े व 12 फुट ऊंचे विशाल स्वर्ण- रजत हिंडोले में विराजमान कराया गया और उनके दोनों ओर खड़ी सखियां प्रतीकात्मक रूप में उन्हें झूला झुला रही थीं.
हरियाली-तीज के मौके पर हरे रंग के महत्त्व को देखते हुए ठाकुरजी और सखियों को हरे रंग की विशेष पोशाक धारण कराई गई और मंदिर में सावन का एहसास कराने के लिए सावन के सभी रंगों से सजावट की गई.
साथ ही ठाकुरजी को भोग भी इस पर्व की विशेष मिठाई घेवर-फैनी अर्पित किया गया. इसके अलावा, मंदिर के पीछे ठाकुर जी की थकान मिटाने यानी विश्राम के लिए सुख सेज भी सजाई गई.
प्राचीन मान्यता के अनुसार मंदिर बंद होने के बाद ठाकुरजी को यहां विश्राम कराया जाता है. वहीं, मन्दिर के आंतरिक परिसर में हिंडोले की तैयारियां सम्पन्न हो जाने के बाद प्रातः पौने आठ बजे दर्शनार्थियों के लिये मन्दिर के पट खोल दिये गये.
बस फिर क्या था... इस पल का बेसब्री से इंतजार कर रहे देश-विदेश के श्रद्धालु भक्त उत्साह और उमंग के साथ अंदर प्रवेश करने लगे. भक्तों ने जब अपने आराध्य को स्वर्ण-रजत ओ बेशकीमती हिंडोले में झूलते हुए देखा तो उनके आनंद का ठिकाना नहीं रहा और वे स्वयं को धन्य महसूस करने लगे.
वहीं, मंदिर परिसर की भव्य सजावट के साथ ही ठाकुरजी की हरे रंग की पोशाक और स्वर्ण-रजत के आकर्षक श्रृंगार से मन को मोहने वाला सौंदर्य भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था, जिससे आनंद रस में सराबोर भक्तजन जय-जय करते हुए अपनी प्रसन्नता का इजहार करने लगे और संपूर्ण मंदिर परिसर बांकेबिहारी लाल के जयकारों से गुंजायमान हो उठा.
वहीं कुछ श्रद्धालु महिलाओं ने मल्हार गाकर अपनी खुशी व्यक्त की.