Police Commissionerate : पुलिस कमिश्नरी प्रणाली कैसे करती है काम, पुलिस कमिश्नर के साथ होगी तेजतर्रार अफसरों की बड़ी फौज
Police Commissionerate In UP: गाजियाबाद, आगरा समेत उत्तर प्रदेश के 3 शहरों में भी पुलिस कमिश्नरी का गठन
Police Commissionrate : उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी सरकार की कैबिनेट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने गाजियाबाद, आगरा और प्रयागराज में भी पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू कर दी है. अब यूपी में सात ऐसे जिले हैं, जहां पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू है. पुलिस कमिश्नरेट बनाए जाने के साथ ही जिले के शीर्ष पुलिस अधिकारी के अधिकार और बढ़ जाएंगे. पुलिस कमिश्नरी प्रणाली में ADG रैंक का अधिकारी पुलिस आयुक्त (Police Commissioner) होता है, जो डीएम और अन्य शीर्ष अधिकारियों की हरी झंडी का इंतजार किए बिना त्वरित फैसले ले सकता है.
यूपी के 3 और शहरों में लागू हुई पुलिस कमिश्नर प्रणाली, योगी कैबिनेट ने दी मंजूरी
साथ ही आईजी रैंक के अफसर को ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर (Joint Police Commissioner) बनाया जाता है. जबकि डीआईजी रैंक के पुलिस अधिकारी अपर पुलिस आयुक्त (Additional Commissioner of Police) बनाए जाते हैं. जिले की कानून-व्यवस्था की आवश्यकता, क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से पद सृजित किए जाते हैं. नोएडा और लखनऊ में पुलिस कमिश्नर सिस्टम पहले ही लागू किया जा चुका है.
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भारत में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम ब्रिटिशकालीन परंपरा है, जो 1861 से चल रही है. भारत के अन्य महानगरों या बड़े शहरों में भी बेहतर कानून-व्यवस्था के लिए समय-समय पर पुलिस कमिश्नरों की नियुक्ति होती रही है. पुलिस कमिश्नरी में दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के तहत सारे अधिकार पुलिस कमिश्नर रखता है. उसे संबंधित जिले के जिलाधिकारी यानी DM से पुलिस के मामले में कोई निर्देश लेने की आवश्यकता नहीं होती.
लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ने के बाद पुलिसकर्मी के ट्रांसफर, लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले छोड़ने या गोली चलाने का आदेश वो खुद दे सकता है. जहां पुलिस कमिश्नरी नहीं होती है, वहां ऐसे आदेश में डीएम का भी पूरा हस्तक्षेप होता है.
पुलिस कमिश्नरी वाले जिलों को विभिन्न जोन में बांट दिया जाता है. प्रत्येक जोन में एसएसपी-एसपी (SSP SP) स्तर का अफसर डीसीपी यानी डिप्टी पुलिस कमिश्नर (Deputy Commissioner of Police) या कहिए तो पुलिस उपायुक्त तैनात होता है. इसके बाद अपर पुलिस आयुक्त (Additional Police Commissioner) तैनात किए जाते हैं. ये एएसपी रैंक के पुलिस अधिकारी हैं. वहीं सर्किल औऱ थाना स्तर पर पुलिस सिस्टम पहले जैसा ही होता है. सिर्फ क्षेत्राधिकारी या सीओ के पद का नाम सर्किल ऑफिसर की जगह सहायक पुलिस आयुक्त (Assitant Police Commissioner) होता है. एसीपी के नीचे थानों के एसएचओ (SHO) होते हैं.
यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल (EX DGP Brijlal) का कहना है कि इससे बड़े शहरों में पुलिस तेजी से निर्णय़ लेने में सक्षम होगी. कारागार अधिनियम के अधिकार, विदेशी अधिनियम के अधिकार अब जिले के पुलिस कमिश्नर के पास होंगे. गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट जैसे मामलों में पुलिस के अधिकार बढ़ेंगे. विस्फोटक अधिनियम के अधिकार भी पुलिस कमिश्नर के पास होंगे.
पूर्व डीजीपी ओपी सिंह (Ex DGP OP Singh) का कहना है कि जनवरी 2020 में इससे पहले कानपुर और नोएडा में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने का फैसला हुआ था और अब तीन और शहरों को इसमें शामिल करने के साथ यूपी में सात ऐसे शहर हो गए हैं, जहां पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो गई है.
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह (EX DGP Vikram Singh) का कहना है कि यह साहसिक कदम है. यह कार्य 1977 से लागू चल रहा था. उनका कहना है कि नौकरशाही नहीं चाहती थी कि पुलिस कमिश्नरी सिस्टम शहरों में लागू हो, लेकिन सरकार ने सराहनीय फैसला लेते हुए पुलिस को बड़े शहरों में व्यापक अधिकार देने का यह निर्णय़ लागू किया है. शहरों में बढ़ती आबादी और अपराधों के बदलते स्वरूप को देखते हुए पुलिस आयुक्त प्रणाली बेहद आवश्यक है. यूपी में 75 में से 18 ऐसे जिले हैं, जहां पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू की जा सकती है, यानी अभी 11 ऐसे जिले हैं, जहां और इस पर मुहर लगाई जा सकती है.
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