जन्मदिन विशेषः मदन मोहन मालवीय की जयंती आज, मोदी-योगी ने किया नमन, जानें कैसे बने `महामना`?
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) के संस्थापक भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय की आज 160वीं जयंती (160th birth anniversary of Malaviya) है.... आज पूरा राष्ट्र उनको नमन कर रहा है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर उनकी जयंती पर याद किया है. इसके अलावा कई नेता, राजनेताओं ने उनको याद किया है.
जन्मतिथि पर विशेष: सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) के संस्थापक भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय की आज 160वीं जयंती (160th birth anniversary of Malaviya) है. आज पूरा राष्ट्र उनको नमन कर रहा है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर उनकी जयंती पर उन्हें याद किया है. इसके अलावा कई नेता, राजनेता उनको याद कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद् और समाज सुधारक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन।’’
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा कि-महान स्वाधीनता संग्राम सेनानी, उत्कृष्ट शिक्षाविद, भारतीय संस्कृति के जीवंत संवाहक केन्द्र 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' के संस्थापक, 'भारत रत्न' महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी को उनकी जयंती पर कोटिश: नमन। 'महामना' का व्यक्तित्व एवं त्यागमय जीवन हमें सदैव प्रेरणा देता रहेगा।
प्रयागराज में हुआ था जन्म
अद्वितीय प्रतिभा के धनी पण्डित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर, 1861 को इलाहाबाद (प्रयागराज) में हुआ था. साल 2021 में महामना मालवीय की 160वीं जयंती है. मदन मोहन मालवीय को धार्मिक संस्कार विरासत में मिले. उनके पिता का नाम पं ब्रजनाथ मालवीय और मां का नाम मुना देवी था. मदन मोहन बड़े प्रसन्न व चैतन्य प्रकृति के थे. ऐसा कहा जाता है कि उनको गुल्ली-डंडा और व्यायाम का काफी शौक था. सात साल की आयु में उनका यज्ञोपवीत संस्कार हुआ. उनकी जयंती के मौके पर मालवीय जी के द्वारा सामाजिक, राजनैतिक और शैक्षणिक क्षेत्र में किये गए कामों को याद किया जाता है. पंडित मदन मोहन मालवीय जी के पूर्वज मालवा प्रान्त के निवासी थे. इसलिए इन्हें मालवीय कहा जाता था.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दूसरे अधिवेशन में भाग लिया
मदन मोहन मालवीय जी ने महज 25 साल की आयु में ही 1886 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दूसरे अधिवेशन में भाग लिया और उसे संबोधित किया. बाद में वे सन् 1909, 1918, 1932 और 1933 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए. सरदार वल्लभ भाई पटेल की तरह ही मदन मोहन मालवीय भी भारतीय राष्ट्र कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक थे. महामना ने देश की स्वतंत्रता और सनातन धर्म की मजबूती के लिए अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया. एक पत्रकार के रूप में उन्होंने साल 1907 में एक हिंदी साप्ताहिक 'अभ्युदय' की शुरुआत की, जिसे वर्ष 1915 में दैनिक बना दिया गया. उन्होंने वर्ष 1909 में एक अंग्रेज़ी दैनिक अखबार 'लीडर' भी शुरू किया. वे कई सालों तक ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ के निदेशक मंडल के अध्यक्ष भी रहे.
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काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना के संस्थापक
शिक्षा के क्षेत्र में मालवीय जी का सबसे बड़ा योगदान रहा. उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की. उन्होंने एक ऐसा विश्वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया था, जिसमें प्राचीन भारतीय परंपराओं को कायम रखते हुए देश-दुनिया में हो रही तकनीकी प्रगति की भी शिक्षा दी जाए. 1916 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ही मदन मोहन मालवीय को महामना की उपाधि दी थी.
इस दिन हुआ था निधन
भारत माता के इस महान सपूत का निधन 12 नवंबर, 1946 को हुआ था. मालवीय जी के किए गए कार्यों को उनके 153वीं जयंती के एक दिन पहले 24 दिसंबर, 2014 को भारत सरकार ने उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
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