इंडियन बैंक प्रयागराज के कर्मचारी मदन जी उपाध्याय ने करीब पांच साल पहले अपने ऑफिस काउंटर के सामने "नेकी का गुल्लक" की स्थापना की थी जिसमें मदन जी उपाध्याय अपने ऑफिस के अन्य कर्मचारियों की मदद से हर दिन नेकी के गुल्लक में सौ या फिर पचास रुपये डालते हैं.....
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मो.गुफरान/प्रयागराज: किसी शायर ने कहा है कि, तुम्हारे दिल की चुभन भी ज़रूर कम होगी, किसी के पांव कांटा निकालकर देखो. संगम नगरी प्रयागराज में इन लाइनों को धरातल पर उतारने का पुण्य कार्य इंडियन बैंक के कर्मचारी मदन जी उपाध्याय ने किया है. बैंक की जम्मेदारियों के साथ मदन जी उपाध्याय अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का भी निर्वाहन कर रहें हैं. उन्होंने बैंक ऑफिस के अपने काउंटर के सामने "नेकी का गुल्लक" नाम का बॉक्स रखा है.
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गरीबों की मदद करता है नेकी का गुल्लक
नेकी का यह गुल्लक बीमारी की हालत ही नहीं बल्कि शादी विवाह और घर की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही कानूनी लड़ाई में भी गरीबों असहायों की मदद करता है. खास बात यह है कि इस गुल्लक के जरिए जिसकी भी मदद होती है, उससे कोई भी ब्याज या फिर मदद के लिए दिए गए रुपये वापस नहीं लिए जाते हैं.
ऑफिस काउंटर के सामने "नेकी का गुल्लक"
इंडियन बैंक प्रयागराज के कर्मचारी मदन जी उपाध्याय ने करीब पांच साल पहले अपने ऑफिस काउंटर के सामने "नेकी का गुल्लक" की स्थापना की थी जिसमें मदन जी उपाध्याय अपने ऑफिस के अन्य कर्मचारियों की मदद से हर दिन नेकी के गुल्लक में सौ या फिर पचास रुपये डालते हैं. महीने भर बाद जब उसकी गिनती करते हैं तो उसमे पांच हजार से लेकर आठ हजार रुपये तक इकट्ठा हो जाया करता हैं. अब यहीं से शुरू हो जाता है गरीबों और जरूरतमंदो की मदद का सिलसिला.
गरीबों और असहायों की मदद
मदन जी उपाध्याय ने बताया कि बैंक में तमाम गरीब और असहाय लोग बेहद मामूली रुपये बैंक लोन के लिए आते हैं. लेकिन उनके पास लोन के लिए जरूरी दस्तावेज नहीं होता है जिसके चलते जरूरतमंदों की मदद वह नही कर पाते थे. घर जाने पर अक्सर उन्हें पछतावा भी होता था, तभी उनके दिमाग में ख्याल आया कि क्यों न जरूरतमंदों की मदद के लिए अपनी जरूरत में से कुछ चीजों की कटौती करके किया जाए, जिससे गरीबों और असहायों की मदद हो सके.
शुरू में लोगों ने उड़ाया था मजाक
मदन जी उपाध्याय ने बताया कि नेकी के गुल्लक कि उन्होंने जब स्थापना की तो शुरुआती दिनों में उनके साथी कर्मचारियों ने मजाक भी बनाया हालांकि जब नेकी के गुल्लक के जरिए लोगों की मदद होने लगी तो यहां के कर्मचारी भी इसमें अपना हाथ बटाने लगे जिससे उनके मकसद में और आसानी हो गई. मदन जी उपाध्याय के साथ बैंक में काम करने वाले ने बताया कि अब दूसरे कर्मचारी भी हर दिन अपने निजी खर्च में कटौती करके पचास या सौ रुपये डाल जाते हैं.
मदन जी उपाध्याय ने बताया कि पिछले 5 सालों के भीतर नेकी के गुल्लक ने जहां कोविड में गरीबों के भोजन का इंतजाम कर रहा था तो जरूरतमंदों की शादी विवाह से लेकर उनके इलाज से लेकर कानूनी पेचीदगी में भी आर्थिक मदद कर रहा है. मदन जी उपाध्याय ने बताया कि नेकी के इस गुल्लक में अब तक प्रयागराज और उसके आसपास के करीब 100 से अधिक लोगों की मदद कर चुका है. उन्होंने बताया कि जरूरतमंदों के चयन के लिए पत्र नेकी के गुल्लक में डालने के लिए कहा जाता है. जिसमें प्राथमिकता के आधार पर जरूरतमंदों का चयन किया जाता है और बुलाकर उन्हें उनकी जरूरत के अनुसार नेकी के गुल्लक से मदद की जाती है.
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