Raksha Bandhan 2022: Amazon पर भी धूम मचा रही बाराबंकी की राखियां, दीदियां कर रहीं बंपर कमाई
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Raksha Bandhan 2022: Amazon पर भी धूम मचा रही बाराबंकी की राखियां, दीदियां कर रहीं बंपर कमाई

Raksha Bandhan 2022: भाई-बहनों के सबसे प्यारे त्योहार रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2022) को लेकर लेकर बाजार में रौनक है. इस बार बाराबंकी (Barabanki) की स्वयं सहायता समूह की दीदियों की बनी राखियां जिले में ही नहीं बल्कि देश-विदेश की बाजार में धूम मचा रहे हैं. इनको ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन (Amazon) पर इन उत्पादों की बिक्री की जा रही है.

Raksha Bandhan 2022: Amazon पर भी धूम मचा रही बाराबंकी की राखियां, दीदियां कर रहीं बंपर कमाई

Raksha Bandhan 2022: स्वयं सहायता समूहों की दीदियां आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ा रही हैं. इनके हाथों तैयार उत्पाद अब जिले में ही नहीं बल्कि देश-विदेश की बाजार में धूम मचा रहे हैं. वहीं समूह की दीदियों द्वारा तैयार उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार से लिंकअप होने से महिलाओं की आमदनी में भी बढ़ोतरी हो रही है. क्योंकि समूह की दीदियों को खुद के हाथों निर्मित हो रहे उत्पाद बिक्री के लिए परेशान और भटकना नहीं पड़ रहा है. ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन पर इन उत्पादों की बिक्री की जा रही है.

दरअसल बाराबंकी जिले के फतेहपुर ब्लॉक में हजारों महिलाएं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में काम कर रही हैं. इन महिलाओं को जिला प्रशासन की तरफ से ऐसे उत्पाद बनाने के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराया जाता है, जिनकी त्योहारों के दौरान अधिक मांग होती है. दीवाली में दीपक, होली में सूखे रंग (गुलाल) के बाद अब वह रक्षाबंधन के लिये राखी बना रही हैं.

इससे समूह की यह महिलाएं पैसे कमाने और अपनी घरेलू आय में योगदान करने में सक्षम हो गई हैं. अपनी इस कामयाबी पर वह काफी खुश हैं. इन महिलाओं का कहना है कि पहले वह घर पर ही रहती थीं और घर का खर्च चलाने के लिए अपने पति या परिवार की की कमाई पर ही निर्भर थीं, लेकिन जब से वह लोग राखी बनाने वाले स्वयं सहायता समूह में शामिल हुई हैं. एक दिन में 300 रुपये से लेकर 400 रुपये के बीच कमाई हो जाती है. इससे उन्हें काफी अच्छा लगता है, क्योंकि वह अब आत्मनिर्भर हो गई हैं. वह अपने पैसों का इस्तेमाल घर के खर्च वहन करने के लिए करती हैं. 

फतेहपुर ब्लॉक में करीब 900 ऐसे स्वयं सहायता समूह हैं जिन्होंने 2020 में अपना संचालन शुरू किया है. यहां राखी बनाने का काम करीब दो महीने से चल रहा है, स्थानीय तौर पर और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर इन राखियों की मांग काफी ज्यादा है. यह राखियां अमेजॉन पर भी उपलब्ध हैं. इसमें टैक्स और अमेजन के कमीशन को छोड़कर शेष धनराशि समूह की दीदी को दी जा रही है. 

वहीं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के उपायुक्त बीके मोहन ने बताया कि पहले महिलाएं हाथ से सामान बनाती थीं.  जिन्हें कम दाम पर क्षेत्रीय व्यापारी खरीद कर अधिक दाम पर बेचते थे. अब इन्हें इनके मेहनत के उचित दाम मिल सकेंगे. अब स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के प्रोडक्ट की आनलाइन बिक्री शुरू हो गई है और राखियों की डिमांड भी आने लगी हैं. इससे समूह की महिलाएं स्वयं के हाथों तैयार हो रहे उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त कर सकेंगे. 

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