Ramlila in Jalaun: इस रामलीला में अभिनय करने वाले पात्र किसी भी प्रकार का कोई भी पारिश्रमिक नहीं लेते हैं. स्थानीय लोग ही अभिनय करते हैं...
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जितेन्द्र सोनी/जालौन: यूपी के जालौन के कोंच की रामलीला को परंपराओं और अनुष्ठानों की रामलीला कहा जाता है. कई विशेषताओं के चलते इसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है. यहां की ऐतिहासिक अनुष्ठानी रामलीला का विधि-विधान के साथ शुभारंभ हो चुका है. कोंच नगर की 170 वर्ष पुरानी रामलीला लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है.
पिछले 170 सालों से चल रहा रामलीला का मंचन
बता दें कि कोंच नगर की रामलीला की अलग-अलग विशेषताएं भी हैं. कुछ लीलाएं मंच पर ना होकर मैदानों में आयोजित की जाती हैं, जिनको देखने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ती है. यह परंपरा पिछले 170 सालों से अनवरत चली आ रही है. इस रामलीला में अभिनय करने वाले पात्र किसी भी प्रकार का कोई भी पारिश्रमिक नहीं लेते हैं. स्थानीय लोग ही अभिनय करते हैं.
रामलीला में दिखाई देती है पारसी रंगमंच शैली
इस रामलीला में श्री राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न 10 से 15 वर्ष के बीच के ही ब्राह्मण बालकों को बनाया जाता है. इनकी पूरे नगर में भक्ति भाव से पूजा-अर्चना भी की जाती है. यहां की रामलीला में पारसी रंगमंच शैली बिल्कुल स्पष्ट दिखाई देती है. इतना ही नहीं वर्ष 2008 में अयोध्या शोध संस्थान द्वारा इस रामलीला का कवरेज कराया गया था. देश भर की रामलीलाओं के किए गए सर्वेक्षण में इस रामलीला को देश की सर्वश्रेष्ठ मैदानी रामलीला का खिताब भी संस्थान द्वारा प्रदान किया गया था. स्थानीय जन सहयोग से ही रामलीला अपनी पहचान बनाए रखने में अब तक सफल साबित हुई है.
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लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज है रामलीला
वहीं रामलीला कमेटी के पदाधिकारी और गौड़ वंशीय परिवार के प्रतिनिधि अतुल चतुर्वेदी ने बताया कि ये रामलीला 170 वर्ष से संचालित होती चली जा रही है. वर्ष 2009 में लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज की जा चुकी है. यहां रामलीला का सजीव विग्रह 10 साल से 14 साल के ब्राह्मण बालक बनाये जाते हैं. कोई महिला किरदार नहीं है. महिलाओं का किरदार भी पुरुष निभाते हैं.
बिना पैसे के काम करते हैं कलाकार
वहीं रामलीला समिति के संरक्षक पुरषोत्तमदास रिछारिया ने बताया इसमे पेशेवर कलाकार नहीं होता. अयोध्या शोध संस्थान के सर्वे में देश के सबसे उत्कृष्ट रामलीला का खिताब भी कोंच की रामलीला को दिया गया. वहीं रामलीला विभाग के अभिनय विभाग के अध्यक्ष रमेश तिवारी ने बताया स्थानीय कलाकार बिना पैसे के यहां काम करते हैं. यहां रावण और मेघनाथ के पुतले गाड़ियों में बांधकर दोड़ाए जाते हैं. ये एशिया महादीप में इस रामलीला का श्रेष्ठ स्थान है.