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संभल: उत्तर प्रदेश के संभल जिले की चंदोसी तहसील क्षेत्र का गुमथल गांव आज भी क्रांतिकारियों के गांव के नाम से मशहूर है. बताया जाता है कि देश की आजादी के आंदोलन में धन की कमी आड़े आने पर गुमथल गांव के क्रांतिकारियों ने ट्रेन में ले जाया जा रहा अंग्रेजों का खजाना लूट लिया था.अंग्रेजों ने लूटा गया खजाना वापस लेने के लिए गुमथल गांव के चारों तरफ आग लगवा दी थी ,लेकिन कई दिनों की कोशिश के बाद भी अंग्रेज अफसर गांव से एक भी क्रांतिकारी को गिरफ्तार नहीं कर सके थे.
गुमथल गांव के क्रांतिकारियों ने योजनाबद्ध तरीके से एक अंग्रेज अफसर को पकड़कर बंधक बनाने के बाद उसे कई दिन तक घास खिलाई थी. यही नहीं चंदौसी के क्रांतिकारी जगदीश नारायण ने एक अंग्रेज अफसर के मुंह पर थूककर अंग्रेजों की गुलामी का प्रतिकार किया था ,बताया जाता है कि अंग्रेज अफसर ने जगदीश नारायण को 10 कोड़े मारे जाने की सजा सुनाई थी. गुमथल गांव के इन क्रांतिकारियों के नाम आज भी विकासखंड कार्यालय परिसर में स्थापित शिलापट पर अंकित है.
क्रान्तिकारियों के नाम से है इस गांव की पहचान
यूपी के मुरादाबाद मंडल में सम्भल जनपद सबसे अधिक स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों वाला जनपद माना जाता है. संभल जिले में वर्तमान में 500 से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार रहत है. यहां की चंदौसी तहसील का गुमथल गांव स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की सबसे अधिक संख्या वाला गांव माना जाता है गुमथल गांव को क्रान्तिकारियों की शरण स्थली भी कहा जाता था. गांव के क्रांतिकारी राम नारायण, गोविन्द , नित कर , कल्लू डोर सिंह चौबे समेत तमाम क्रांतिकारियों के नाम आज भी विकास खंड कार्यलय परिसर में लगे शिलापट्ट पर अंकित है. देश के आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान के लिए चंदौसी के क्रांतिकारी जगदीश नारायण सक्सेना का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. देश की आजादी की लड़ाई के लिए चार बार जेल की सजा काटने वाले क्रांतिकारी जगदीश नारायण ने जेल के निरीक्षण के लिए पहुंचे हार्ड डी नाम के अंग्रेज अफसर के मुंह पर थूक दिया था. अंग्रेज अफसर जगदीश नारायण को 10 कोड़े मारे जाने की सजा सुनाई थी.
लेकिन अफसोस की बात यह है की सरकार ने जिले के विकास खंडों में शिलापट पर क्रान्ति कारियो के नाम तो लिखबा दिए लेकिन इन क्रांतिकारियों के परिवार आज किस बदहाली में जी रहे है ,इसकी कभी सुध नहीं ली ,, देश की आजादी के लिए अविस्मरण नीय योगदान देने बाले बाद स्वतंत्रता सेनानी यो के परिवार सरकार की उपेक्षा के चलते आज बदहाली में जी रहे है ,
स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर कॉलेज की मांग
गुमथल गांव के पूर्व प्रधान विनय कुमार ने बताया कि उनका गुमथल गांव क्रांतिकारियों की तपोभूमि रहा है. गुमथल गांव के 17 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम आज भी अभिलेखों में दर्ज है जबकि गुमथल गांव के 42 से अधिक गुमनाम क्रांतिकारियों का भी आजादी के आंदोलन में बड़ा योगदान रहा है. लेकिन स्वतंत्र सेनानियों का गांव होने के बावजूद गुमथल गांव में संस्था सेनानियों के नाम पर ना तो कोई स्मारक है, न ही किसी सड़क या सरकारी भवन का नाम स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर है. पूर्व प्रधान विनय शर्मा ने सरकार से मांग की है कि सरकार गुमथल गांव में एक इंटर कॉलेज स्वतंत्र सेनानियों की स्मृति में बनवाए और उसने स्वतंत्र सेनानियों से संबंधित एक संग्रहालय की स्थापना करे ताकि युवा पीढ़ी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान के विषय में जान सकें.
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