दीपावली के अवसर पर बड़ी ख़ुशख़बरी. आरआरटीएस कॉरिडोर की पहली टनल का ब्रेकथ्रू मेरठ में हुआ.... 4 महीने के भीतर 750 मीटर लंबी सुरंग की बोरिंग और निर्माण कार्य पूरा हुआ...
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पारस गोयल/मेरठ: दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ RRTS कॉरिडोर की पहली सुरंग का मेरठ में ब्रेकथ्रू (उद्घाटन) किया गया. धनतेरस के शुभ मौके पर NCRTC के MD विनय कुमार सिंह ने रिमोट का बटन दबाकर इस 750 किमी लंबी सुरंग का ब्रेकथ्रू किया. मेरठ में रैपिड रेल कारिडोर अंतर्गत पहली सुरंग (टनल) बनकर तैयार हो गई है. 4 महीने के भीतर 750 मीटर लंबी सुरंग की बोरिंग और निर्माण कार्य पूरा हुआ है.
चार महीने के अंदर 750 लंबी सुरंग की बोरिंग तैयार
एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने, एनसीआरटीसी के निदेशकों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में रिमोट का बटन दबाकर ब्रेकथ्रू की प्रक्रिया की शुरुआत की. सुदर्शन 8.3 (टनल बोरिंग मशीन) को गांधी पार्क में निर्मित लॉन्चिंग शाफ्ट से लॉन्च किया गया था और अब इसे बेगमपुल आरआरटीएस स्टेशन से रीट्रीव किया जाएगा. पहली टनल के ब्रेकथ्रू की यह उपलब्धि 4 महीने के भीतर 750 मीटर लंबी सुरंग की बोरिंग और निर्माण के बाद हासिल की गई है.
समानांतर टनल का निर्माण भी करेगी टीबीएम
यह टनलिंग का फर्स्ट ड्राइव है जिसे सुदर्शन 8.3 द्वारा पूरा किया है. यही टीबीएम समानांतर टनल का निर्माण भी करेगी. इसलिए, टीबीएम को शाफ्ट में ही डिस्मेंटल किया जाएगा और इसके कटर हेड और शील्ड को ट्रेलरों पर लादकर गांधी पार्क में स्थित लॉन्चिंग शाफ्ट पर वापस लाया जाएगा. बैकअप गैन्ट्री या टीबीएम के बाकी हिस्सों को टनल के रास्ते ही वापस ले जाया जाएगा. एक बार जब यह लॉन्चिंग शाफ्ट पहुंच जाएगी, तो इसे फिर से लॉन्च किया जाएगा. इस बीच, दो अन्य सुदर्शन, 8.1 और 8.2, भैसाली से फुटबॉल चौक तक 1.8 किमी लंबी समानांतर टनल बोर कर रहे हैं.
टॉप-डाउन तकनीक से स्टेशन का निर्माण
बेगमपुल आरआरटीएस स्टेशन का निर्माण टॉप-डाउन तकनीक से किया जा रहा है, जिसमें गहरी खुदाई करते हुए ऊपर से नीचे की दिशा में स्टेशन का निर्माण किया जाता है. इस स्टेशन के तीन लेवल हैं: मेजेनाइन, कॉनकोर्स और प्लेटफॉर्म लेवल. इस स्टेशन के मेजेनाइन और कॉनकोर्स लेवल का काम पूरा हो चुका है और फिलहाल प्लेटफॉर्म लेवल का निर्माण कार्य किया जा रहा है.
सुरंग के निर्माण के लिए 3500 से अधिक प्री-कास्ट सेगमेंट का उपयोग
इस 750 मीटर लंबी सुरंग के निर्माण के लिए 3500 से अधिक प्री-कास्ट सेगमेंट का उपयोग किया गया है. टनलिंग प्रक्रिया में, इन सेगमेंट को बोर की गई टनल में इंसर्ट किया जाता है और सात खंडों को जोड़कर एक रिंग का निर्माण किया जाता है. प्रत्येक सेगमेंट 1.5 मीटर लंबा और 275 मिमी मोटा होता है. इन सेगमेंट और रिंग को बोल्ट की मदद से जोड़ा जाता है. इन टनल सेगमेंट की कास्टिंग एनसीआरटीसी के शताब्दी नगर स्थित कास्टिंग यार्ड में, सुनिश्चित गुणवत्ता नियंत्रण के साथ की जा रही है. प्री-कास्टिंग गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करते हुए कार्यों के सुरक्षित और तेजी से निष्पादन में मदद करती है. ऑन-साइट निर्माण की आवश्यकता के कम होने से जिस सेक्शन में निर्माण कार्य किया जा रहा है वहां के सड़क उपयोगकर्ताओं, स्थानीय राहगीरों, व्यापारियों और निवासियों को कम असुविधा होती है और वायु तथा ध्वनि प्रदूषण में भी महत्वपूर्ण रूप से कमी आती है. बड़े रोलिंग स्टॉक और 180 किमी प्रति घंटे की उच्च डिजाइन गति के कारण, निर्मित की जा रही आरआरटीएस टनलों का व्यास 6.5 मीटर है. मेट्रो सिस्टम की तुलना में, देश में पहली बार इतनी बड़ी आकार की टनल का निर्माण किया जा रहा है.
RRTC परियोजना में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर-विनय कुमार सिंह
इस अवसर पर बोलते हुए, एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने कहा, “सुदर्शन 8.3 का पहला ब्रेकथ्रू आरआरटीएस परियोजना में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. मेरठ जैसे ऐतिहासिक और भीड़भाड़ वाले इलाके में इस तरह की मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना का निर्माण एक चुनौतीपूर्ण और जटिल प्रक्रिया है. इसमें जटिल लॉजिस्टिक्स प्रबंधन की आवश्यकता होती है और इसमें कई तरह के जोखिम शामिल होते हैं. इनसे निपटने के लिए रणनीतिक योजना की आवश्यकता होती है. पहले से मौजूद एक शहर के नीचे टनल का निर्माण एक जोखिम भरा काम है और इसके लिए बहुत सावधानीपूर्वक योजना बनाने की आवश्यकता होती है. यह यूपी सरकार के अधिकारियों के समर्थन और टीम एनसीआरटीसी, जनरल कंसल्टेंट्स, डिजाइनरों और हमारे कॉन्ट्रेक्टर्स की लगन और अथक परिश्रम का नतीजा है कि मेरठ के लोगों को बिना ज़्यादा असुविधा हुए इस विशाल परियोजना को तेज गति से लागू किया जा रहा है. मैं उन सभी प्रतिबद्ध इंजीनियरों और कर्मचारियों को बधाई देता हूं जिन्होंने इसे संभव बनाया है
समानांतर निर्माण किया जा रहा
आरआरटीएस परियोजना को निर्धारित समय सीमा के अनुसार कार्यान्वित किया जा रहा है. इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए समानांतर निर्माण किया जा रहा था. जहां एक तरफ लॉन्चिंग शाफ्ट का निर्माण किया जा रहा था, वहीं दूसरी ओर, कास्टिंग यार्ड में रिंग के सेगमेट्स को प्री-कास्ट किया जा रहा था. इसके साथ ही साथ, टीबीएम की एफएटी (फैक्ट्री एक्सेप्टेंस टेस्ट) जांच करने के बाद इसके पार्ट्स को साइट पर भी लाया जा रहा था. ऐसे पूर्व नियोजित प्रयासों और दूरदर्शिता के कारण ही कोविड की दो लहरों के बावजूद यह परियोजना अपने निर्धारित समय के अनुसार प्रगति कर रही है.
21 किमी की दूरी में 13 स्टेशन
मेरठ सेंट्रल, भैसाली और बेगमपुल मेरठ में भूमिगत स्टेशन हैं, जिनमें से मेरठ सेंट्रल और भैसाली मेरठ मेट्रो स्टेशन हैं जबकि बेगमपुल स्टेशन आरआरटीएस और मेट्रो, दोनों सेवाएं प्रदान करेगा. एनसीआरटीसी मेरठ में आरआरटीएस नेटवर्क पर ही स्थानीय पारगमन सेवाएं, मेरठ मेट्रो प्रदान करने जा रहा है, जिसमें 21 किमी की दूरी में 13 स्टेशन होंगे.
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