Swami Prasad Maurya : स्वामी प्रसाद मौर्य ने धर्माचार्यों को फिर दी चुनौती, रामचरित मानस के विवादित अंशों को हटाने को लेकर फिर भड़के
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Swami Prasad Maurya : स्वामी प्रसाद मौर्य ने धर्माचार्यों को फिर दी चुनौती, रामचरित मानस के विवादित अंशों को हटाने को लेकर फिर भड़के

समाजवादी पार्टी के नेता और विधानपरिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने फिर आग उगली. उन्होंने धर्माचार्यों को फिर से रामचरित मानस विवाद में चुनौती दी है. 

Ramcharit Manas Controversey Swami Prasad Maurya

Swami Prasad Maurya : समाजवादी पार्टी के नेता और विधानपरिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस को लेकर फिर आग उगली. उन्होंने धर्माचार्यों को फिर से रामचरित मानस विवाद में चुनौती दी है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि जाति व्यवस्था पंडितों ने पैदा की थी, हिन्दू धर्म में ऐसा नहीं था. मौर्य ने कहा कि जिस तरह रामचरित मानस की चौपाई हटाने को लेकर साधु संत धर्माचार्य उनकी जुबान काटने, सिर काटने, हाथ काटने जैसी धमकी दे रहे हैं. आतंकवादियों की भाषा बोल रहे हैं, क्या अब वो संघ प्रमुख के लिए भी ऐसी ही धमकियों और अपशब्दों का इस्तेमाल करेंगे. 

स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के उस बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि हिन्दू धर्म में न पैदा होना उनके वश में नहीं था, लेकिन वो हिन्दू धर्म में नहीं मरेंगे. अंबेडकर ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि उन्होंने तो सिर्फ धार्मिक ग्रंथ से कुछ विवादित अंशों को हटाने की मांग भर की है. देश के संविधान में वैसे भी जाति, धर्म, वर्ण या किसी अन्य तरीके से भेदभाव मना किया गया है. समानता का अधिकार दिया गया है, ऐसे में भेदभाव वाले अंशों को क्यों नहीं हटाया जाता.

इससे पहले अपना दल कमेरावादी की नेता और सिराथू सीट से विधायक पल्लवी पटेल ने स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन और आलोचना दोनों की. पल्लवी पटेल ने कहा कि वो रामचरित मानस में विश्वास नहीं रखतीं और ऐसे विवादित अंशों को हटाने की मांग का समर्थन करती हैं. हालांकि अखिलेश यादव के लखनऊ के सरकारी आवास को खाली कराए जाने के दौरान कथित तौर पर उसे गंगाजल से धुलवाने के मामले में उन्होंने सपा नेता पर निशाना साधा. पल्लवी पटेल ने कहा कि अगर स्वामी प्रसाद मौर्य को बुरा लगा था तो उन्होंने उस वक्त आवाज क्यों नहीं उठाई थी. उस वक्त मंत्री पद क्यों नहीं छोड़ दिया था. 

गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी प्रवक्ता आधिकारिक तौर पर स्वामी प्रसाद की मांग का समर्थन कर चुके हैं. वहीं अखिलेश यादव ने भी परोक्ष तौर पर उनकी मांग को वाजिब ठहराया है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से विधानसभा के भीतर इन चौपाइयों को दोहराने को कहेंगे. 

 

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