संभल: यूपी के संभल (Sambhal) में कंज्यूमर फोरम कोर्ट (consumer forum court) ने ट्रेन कैंसिल करने पर रेलवे महकमे (Indian Railway) पर 13,500 रुपए का जुर्माना लगाया है. इसके साथ ही हर्जाने की रकम पीड़ित पैसेंजर को देने का आदेश जारी किया है. दरअसल, पीड़ित पैसेंजर ने अलीगढ़ में लिंक एक्सप्रेस कैंसिल कर आगे का सफर न कराने पर रेलवे महकमे के खिलाफ कंज्यूमर फोरम कोर्ट में वाद दायर किया था. खास बात यह है की रेलवे महकमे पर हर्जाने का दावा ठोकने वाले शख्स की कई महीने पहले कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से मौत हो चुकी है. 


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क्या है पूरा मामला?
मामला संभल जिले का है. रेलवे महकमे पर हर्जाने का दावा ठोकने वाले पीड़ित शख्स के अधिवक्ता लव मोहन ने बताया कि जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग में श्यामलाल द्वारा एक परिवाद दाखिल किया गया था. जिसमें कहा गया कि वह चंदौसी जिला सत्र न्यायालय में अधिवक्ता हैं और विधि व्यवसाय करते हैं. इसी कारण अपने काम के सिलसिले में वह इलाहाबाद से चंदौसी लौट रहे थे. तभी अलीगढ़ स्टेशन पर चंदौसी की ओर लिंक एक्सप्रेस न जाने का एनाउंसमेंट कर रेलवे ने आगे के सफर करने के लिए मना कर दिया. इसके बाद श्यामलाल ने अन्य साधनों से अलीगढ़ से चंदौसी तक की यात्रा पूरी की. 


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रेलवे विभाग ने दी ये दलील 
वहीं, चंदौसी आने के बाद पीड़ित ने अपने रिजर्वेशन टिकट का पैसा वापस चाहा, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई. तब उन्होंने अपने अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय के जरिए जिला उपभोक्ता आयोग संभल में एक शिकायत दर्ज कराई. जिसके बाद आयोग ने रेलवे विभाग को तलब कर कारण जानना चाहा. तब रेलवे ने बताया कि लक्सर में इंटरलॉकिंग का काम होने के कारण ट्रेन को अलीगढ़ से देहरादून की ओर कैंसिल कर दिया गया थी. इस वजह से यात्रियों को आगे की यात्रा नहीं कराई गई. सभी यात्रियों को बताया गया था कि वह अपने टिकट का पूरा पैसा प्राप्त कर लें. 


कोरोना संक्रमण के चलते हुई पीड़ित की मौत
श्यामलाल ओर से लव मोहन वार्ष्णेय ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि पैसा वापस करने के संबंध में कोई भी अनाउंसमेंट विपक्षी द्वारा नहीं की गई थी. मुकदमे के दौरान ही कोरोना वायरस से परिवादी अधिवक्ता श्याम लाल का निधन हो गया. उनकी मौत के उपरांत उनके उत्तराधिकारियों को पक्षकार बनाते हुए वादी के अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय तथा विपक्षी के अधिवक्ता ने अपना पक्ष आयोग के सामने रखा. 


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कोर्ट ने रेलवे को 2 महीने का दिया समय
कोर्ट ने दोनों की बहस सुनने के बाद अपना आदेश जारी करते हुए रेलवे विभाग को आदेश दिया कि 2 माह के अंदर पीड़ित पैसेंजर को 5 हजार रुपये मानसिक क्षति पूर्ति, 5 हजार कोर्ट खर्च समेत 3500 रुपये किराया खर्च हर्जाने के तौर पर देने के आदेश जारी किए हैं. वहीं, हर्जाना राशि अदा न करने की दशा में 9% वार्षिक ब्याज भी विपक्षी परिवादी को देने के आदेश जारी किये गए हैं. 


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