राजकुमार दीक्षित/सीतापुर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की.करोड़ों रुपये खर्च कर लोगों के लिए शौचालय बनाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इन शौचालय में लोग शौच जाने के बजाए दुकान चला रहे हैं. जी हां इनमें परचून की दुकानें चलाई जा रही हैं.


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यहां का है पूरा मामला
यह पूरा मामला सकरन ब्लाक के तारपारा गांव का है. गांव में स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक सार्वजनिक शौचालय बनना था. इस शौचालय का निर्माण करने के लिए प्रधान व सचिव को जमीन की तलाश थी. सूत्र बताते हैं कि तत्कालीन ग्राम प्रधान इस्लामुददीन गौरी व पंचायत सचिव रविशंकर ने यह शौचालय सरकारी जमीन के बजाय गांव के ही मोहनलाल की जमीन पर बनाने की योजना बना डाली.


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सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करा दिया
इन लोगों ने मोहन लाल को भी झांसे में लिया, उससे कहा गया कि यदि वह जमीन पर शौचालय बनाने देगा तो उसके परिवार के एक सदस्य को नौकरी व 15 हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा. लालच में आकर मोहन लाल ने हामी भर दी. इसके बाद तत्कालीन प्रधान व सचिव ने अपने योजना के मुताबिक उसकी निजी जमीन पर सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करा दिया. लेकिन जब मोहन लाल से किए गए वादे पूरे नहीं हुए तो उसने विरोध शुरू कर दिया.


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शौचालय में बने वॉशरूम और स्नानागार बना गोदाम 
हालांकि शौचालय निर्माण शुरू होने पर गांव के लोगों ने पहले भी विरोध किया था, लेकिन उस विरोध को दरकिनार कर तत्कालीन प्रधान व सचिव अपने मंसूबे कामयाब बनाने में सफल हो गए. अब विरोध के बाद भूमि स्वामी ने इसी सरकारी शौचालय पर कब्जा कर लिया और उसमें अपनी किराने की दुकान खोल ली. साथ ही शौचालय में बने वॉशरूम व स्नानागार को गोदाम बना दिया.


न नौकरी मिली ने जमीन का पैसा-मोहनलाल
इस बारे में दुकान चलाने वाले मोहनलाल ने बताया कि प्रधान व पंचायत सचिव द्वारा उससे यह कहकर जमीन ली गई थी, कि उसके परिवार के एक सदस्य को नौकरी व 15 हजार रुपए प्रतिमाह मिलेंगे. उसके बाद न ही नौकरी मिली और न ही जमीन का पैसा दिया गया. तब उसने निजी भूमि पर बने शौचालय में किराने की दुकान खोल ली. पंचायत सचिव रविशंकर ने बताया कि दुकानदार को शौचालय से दुकान हटाये जाने की नोटिस भेजी गयी है. यदि दुकान नहीं हटती है तो उस पर मुकदमा दर्ज कराया जायेगा.


शौचालय निर्माण में भी किया गया खेल
स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनवाया गया सार्वजनिक शौचालय न सिर्फ निजी जमीन पर बनाया गया, बल्कि उसके निर्माण कराने में सरकारी धन गबन की भी आशंकाएं बनी हुई हैं. दरअसल इस शौचालय का भवन तो बनावा दिया गया, उसका रंगों-रोगन भी करा दिया गया, लेकिन शौचालय का पूर्ण निर्माण नहीं हुआ. शौचालय में न ही फर्श लगी है और न ही टायल्स. अधूरा होने के बाद भी पांच लाख 70 हजार रुपया निकाल लिया गया.


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