कानपुर का छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय अब कर्मकांड और ज्योतिष को प्रोफेशनल कोर्स बनाकर लांच करने की तैयारी में है. जैसे डिजिटलाइजेशन बढ़ रहा है ऐसे में आने वाले समय में कर्मकांड भी ऑनलाइन कराए जाएंगे. भविष्य की ऐसी संभावनाओं को देखते हुए यूनिवर्सिटी में इन कोर्सों को शुरू किया जाएगा.
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श्याम तिवारी/कानपुर: छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में प्रोफेशनल कोर्स की तरह ज्योतिष, कर्मकांड की पढ़ाई होगी. अगले सत्र से कोर्स शुरू किया जाएगा. कोर्स के लिए अभी फीस तय नहीं की गई है. अगले सत्र से छात्र एडमिशन ले सकेंगे. ये जानकारी कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने दी.
कानपुर का छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय अब कर्मकांड और ज्योतिष को प्रोफेशनल कोर्स बनाकर लांच करने की तैयारी में है. अगले सत्र से यूनिवर्सिटी में ज्योतिष और कर्मकांड के सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स शुरू हो जाएंगे. इन कोर्स इसका उद्देश्य ऐसे कर्मकांडी विद्वान तैयार करना है जो संस्कृत के साथ-साथ अंग्रेजी और कंप्यूटर को भी अच्छे से जानते हो.
पूजा करना और कर्मकांड कराना आमतौर पर पीढ़ी दर पीढ़ी ट्रांसफर होने वाला काम है, जिसे पिता अपने पुत्र को सिखाता है और वह आगे इस परंपरा को आगे बढ़ाते है. वहीं गुरुकुल में भी कर्मकांड और ज्योतिष की शिक्षा दी जाती है.
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आने वाले समय में कर्मकांड भी होंगे ऑनलाइन
वहीं विदेशों में रह रहे भारतीयों के लिए ऑनलाइन कर्मकांड करा सकें. जैसे डिजिटलाइजेशन बढ़ रहा है ऐसे में आने वाले समय में कर्मकांड भी ऑनलाइन कराए जाएंगे. भविष्य की ऐसी संभावनाओं को देखते हुए ही विश्वविद्यालय इन कोर्स को शुरू करने जा रहा है.
कानपुर ब्रह्माव्रत की नगरी
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक का कहना है कि कानपुर ब्रह्माव्रत की नगरी कही जाती है. कानपुर और वाराणसी जो गंगा किनारे बसे हुए नए नगर हैं वह ज्ञान विज्ञान और सभ्यता को समाहित रहते हैं. मुझे लगता है आज पुराना विज्ञान, संस्कृत, ज्योतिष कर्मकांड इन सब के जो विषय हैं वह लोगों को बहुत उत्सुक कर रहे हैं. हमारी नई युवा पीढ़ी भी इन सबकी जानकारी करना चाहती है.
तकनीकी तो सीखे पर संस्कार भूल रहे- प्रो. विनय कुमार
उन्होंने कहा कि डिग्री,सर्टिफिकेट और कोर्सेज के साथ ही रिसर्च वर्क तक का कार्य हम लोग यहां पर शुरू करेंगे. इसके साथ ही योग और आयुष के भी कोर्स हम शुरु करेंगे. उन्होंने कहा मेरा मानना यह है कि इन कोर्सेज को यह विश्वविद्यालय बढ़ावा देगा. उन्होंने कहा कि बीते 60 सालों में हम लोग तकनीकी तो सीखे हैं लेकिन अपने संस्कार भूले हैं. अपने प्राचीन ज्ञान को हम अपने युवाओं को बता नहीं पाए और उन्हें उससे रूबरू नहीं करा पाए. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि आज युवा कंप्यूटर और अंग्रेजी भी जानें और संस्कृत की भी जानकारी हो.
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