UP Chunav 2022: बसपा ने एक और असेंबली सीट पर घोषित किया अपना उम्मीदवार, ​जानिए किसे मिला टिकट
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UP Chunav 2022: बसपा ने एक और असेंबली सीट पर घोषित किया अपना उम्मीदवार, ​जानिए किसे मिला टिकट

बदायूं बसपा जिलाध्यक्ष हेमेंद्र गौतम ने बताया कि जिले की बिल्सी और बिसौली सीट पर भी पार्टी अपने प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया लगभग पूरी कर चुकी है और जल्द ही उनके नाम की घोषणा कर देगी. 

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती. (File Photo)

बदायूं: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों में जुटी सभी राजनीतिक पार्टियां जनसभा, रैली और रोडशो का आयोजन कर रही हैं.  लेकिन बहुजन समाज पार्टी बिल्कुल अलग रणनीति पर चल रही है. दूसरे दलों ने अभी तय नहीं किया है कि कितने सीटों पर वे खुद चुनाव लड़ेंगे और कितनी सीटें अपने गठबंधन में शामिल पार्टियों को देंगे. वहीं, बसपा टिकट फाइनल करने लगी है. बदायूं जिले की दातागंज और सदर सीट के बाद अब सहसवान सीट पर भी बहुजन समाज पार्टी ने अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है.

बसपा ने बदायूं ​की बिल्सी से पूर्व में विधायक रहे हाजी बिट्टन अली को 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सहसवान सीट से उतारने का फैसला लिया है. बसपा खामोशी से बूथ स्तर पर अपने संगठन को मजबूत कर रही है और 15 जनवरी से बड़े कार्यक्रमों के आयोजन की है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बदायूं जिले में विधानसभा की 6 सीटें हैं और साल 2017 के चुनाव में बसपा के खाते में एक भी सीट नहीं आई थी. पार्टी इस बार पहले से ही प्रत्याशियों की घोषणा कर उन्हें अपने क्षेत्र में जनसंपर्क के लिए समय देने की रणनीति पर काम कर रही है.

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बदायूं की दातागंज सीट से बसपा ने रचित गुप्ता और बदायूं सदर सीट से राजेश कुमार सिंह का टिकट फाइनल कर दिया है. बदायूं बसपा जिलाध्यक्ष हेमेंद्र गौतम ने बताया कि जिले की बिल्सी और बिसौली सीट पर भी पार्टी अपने प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया लगभग पूरी कर चुकी है और जल्द ही उनके नाम की घोषणा कर देगी. शेखूपुर सीट पर पार्टी का चेहरा कौन होगा, अभी तक स्थिति साफ नहीं हो सकी है. अभी मंडल स्तरीय नेताओं का ही आवागमन हो रहा है, जनवरी के दूसरे सप्ताह से पार्टी की गतिविधियां बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चुनाव से बहुत पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा करना बसपा की पुरानी रणनीति रही है. साल 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में यह रणनीति काफी सफल रही थी. बसपा ने तब चुनाव से करीब साल भर पहले ही अपने उम्मीदवार फाइनल कर दिए थे. उम्मीदवारों को अपने क्षेत्र में दौरा करने का पर्याप्त मौका मिला था. साल 2007 में बसपा ने 86 विधानसभा सीटों पर ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे थे और 41 सीटों पर उसे जीत हासिल हुई थी. 

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