UP Politics से जुड़े सबसे बड़े मिथक को आज एक बार फिर तोड़ेंगे सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ
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UP Politics से जुड़े सबसे बड़े मिथक को आज एक बार फिर तोड़ेंगे सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ

उत्तरप्रदेश के सीएम (Uttar Pradesh CM) की कुर्सी चली जाती है, अगर वह नोएडा (Noida) आता है. 33 साल से चला आ रहा है नोएडा (Noida) से जुड़ा यह अंधविश्वास

UP Politics से जुड़े सबसे बड़े मिथक को आज एक बार फिर तोड़ेंगे सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ

गौतम बुद्ध नगर, नोएडा: उप्र विधानसभा चुनाव (UP assembly elections) की तैयारियों में जुटे उप्र के सीएम योगी आदित्यनाथ (UP CM Yogi Adityanath) आज मंगलवार को एक फिर नोएडा (Noida) आ रहे हैं और इसके साथ ही नोएडा से जुडे उस मिथक की फिर से चर्चा होने लगी है जो पिछले 29 सालों से चला आ रहा है. माना जाता है कि नोएडा आने वाले उप्र के मुख्यमंत्री (CM of Uttar Pradesh) की कुर्सी चली जाती है. यूपी के सियासी  महत्व (UP politics) को जानने-समझने वाले नोएडा के टोटके को बखूबी जानते पहचानते हैं.

  1. नोएडा (Noida) के इस मिथक की शुरूआत 1988 में हुई थी
    उत्तरप्रदेश सीएम (UP CM) कुर्सी के सियासी किस्सों में शापित है नोएडा (Noida)

यही वजह रही है यूपी के कई सीएम ((Uttar Pradesh CM)) पहले भी इस मिथक पर भरोसा कर यहां आने से कतराते रहे हैं. हालांकि योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) इस अंधविश्वास को पहले भी तोड चुके हैं. साल 2017 में क्रिसमस के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा नोएडा से कालकाजी मेट्रो लाइन (Kalkaji Metro line) के उद्घाटन के मौके पर योगी मौजूद रहे थे. 

1988 में चल रहा है मिथक 
नोएडा के इस मिथक की शुरुआत 1988 में हुई जब वीर बहादुर सिंह नोएडा आए और विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. वीर बहादुर सिंह के हटने के बाद नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने. वह भी नोएडा के सेक्टर 12 स्थित नेहरू पार्क का उद्घाटन करने वर्ष 1989 में आए. उसके कुछ समय बाद वह भी मुख्यमंत्री पद से हट गए.
 समय-समय पर हुए मध्यावर्ती चुनाव में नारायण दत्त तिवारी, कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव सभी को नोएडा आने के बाद इसी तरह से हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 1994 में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव नोएडा के सेक्टर 40 स्थित खेतान पब्लिक स्कूल का उद्घाटन करने आए. यादव ने मंच से कहा कि वह इस मिथक को तोड़ कर जाएंगे कि जो मुख्यमंत्री नोएडा आता है उसकी कुर्सी चली जाती है. लेकिन उसके कुछ माह बाद ही वह मुख्यमंत्री पद से हट गए. तब सभी इस मिथक को लेकर सन्नाटे में आ गए थे.

उसके बाद आलम यह हुआ कि उत्तर प्रदेश का कोई भी मुख्यमंत्री नोएडा आने से भय खाने लगा. वर्ष 2000 में जब नोएडा के फेमस डीएनडी फ्लाईओवर का उद्घाटन हुआ तो उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने नोएडा आने के बजाय दिल्ली से ही इसका उद्घाटन किया.
यही परिपाटी 2011 तक चली जब तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती नोएडा में 'दलित प्रेरणा स्थल' का उद्घाटन करने पहुंचीं और उन्हें हार से रू-ब-रू होना पड़ा. स्थानीय लोगों का मानना है कि यह यकीनी तौर पर अंधविश्वास है. मायावती के सत्ता से हटने के बाद अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. लेकिन वह अपने पूरे कार्यकाल के दौरान इस औद्योगिक शहर में नहीं आए.

योगी ने क्या किया
बीजेपी सांसद से उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद के शुरुआती समय में योगी आदित्यनाथ ने सूबे के ज़िलों का दौरा शुरु किया था. योगी यूपी के 75 ज़िलों के बजाए 74 ज़िले में ही गए थे, नोएडा नहीं आए थे. 
उस समय सवाल उठे कि क्या योगी भी नोएडा के कुयोग से बच रहे हैं? उनकी आलोचना हुई थी कि योगी भी नोएडा आने का साहस नहीं जुटा पाएंगे. लेकिन वह पहले ही इन सारे सवालों और आलोचनाओं को जवाब साल 2017 में नोएडा से कालकाजी मेट्रो लाइन के उद्घाटन के मौके पर आकर दे चुके हैं और आज के दौरे से वे इस मिथक पर पूर्ण विराम लगाना चाहते हैं.

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