मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के गोरखपुर शहर सीट से चुनाव लड़ने की तस्वीर साफ होने के बाद अब अयोध्या से बीजेपी का कौन चेहरा होगा इस पर चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
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अयोध्या: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के गोरखपुर शहर सीट से चुनाव लड़ने की तस्वीर साफ होने के बाद अब अयोध्या से बीजेपी का कौन चेहरा होगा इस पर चर्चाएं शुरू हो गई हैं. एक तरफ सिटिंग विधायक वेद प्रकाश गुप्ता चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर अयोध्या नगर निगम के प्रथम महापौर ऋषिकेश उपाध्याय भी चुनावी मैदान में हैं. यही नही संत समाज से हनुमानगढ़ी के पुजारी महंत राजूदास भी चुनावी समर में संभावित उम्मीदवार के रूप में टिकट के लिए लगे हुए है.
बीजेपी की सपा से मानी जा रही सीधी टक्कर
गौरतलब है कि अयोध्या भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. अयोध्या में बीजेपी से सीधी टक्कर समाजवादी पार्टी की है. समाजवादी पार्टी से तेज नारायण पांडे पवन चुनावी मैदान में हैं. अयोध्या के समीकरण की बात करें तो भगवान श्री राम की जन्म स्थली को बीजेपी के गढ़ के रूप में माना जाता है. अयोध्या विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण को अगर देखा जाए तो यह ब्राह्मण बहुल क्षेत्र में माना जाता है. जहां ब्राह्मण मतदाताओं का जीत में विशेष योगदान रहा है. दूसरे नंबर पर यहां पर दलित समाज का वोट बैंक है और तीसरे नंबर पर यहां पर वैश्य के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग समाहित है. अयोध्या में संत समाज का भी विशेष योगदान रहा है.
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1991 से 2012 तक लल्लू सिंह रहे बीजेपी से विधायक
अयोध्या धाम की बात करें तो तकरीबन 65 हजार से ज्यादा मतदाता अयोध्या के 5000 से ज्यादा मंदिरों व मठों में रहते हैं. यहां हर घर मंदिर है. अयोध्या ने अब तक किन-किन दलों के विधायकों को चुना है तो अब तक 25 वर्ष का रिकॉर्ड 1991 से 2012 तक बीजेपी के विधायक के रूप में लल्लू सिंह का रहा है. हालांकि, लल्लू सिंह इस समय अयोध्या के सांसद है. 2017 में वैश्य समाज से वेद प्रकाश गुप्ता यहां पर बीजेपी का परचम लहराए थे. लेकिन इससे ठीक पहले 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी से तेज नारायण पांडे पवन जीत हासिल कर बीजेपी के गढ़ में सेंध मारने का काम किया.
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पहली बार 1967 में वैश्य समाज से बृज किशोर अग्रवाल भारतीय जनसंघ से चुनाव जीते थे. उसके बाद विश्वनाथ कपूर ने बीकेडी के ब्राह्मण प्रत्याशी को हराया था. फिर 1974 के चुनाव में जनसंघ के वेद प्रकाश अग्रवाल ने बीकेडी के संत श्री राम द्विवेदी को बहुत कम अंतर से हराया था. 1977 में जय शंकर पांडे जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े जो जातीय समीकरण विपरीत होते हुए भी चुनाव जीत गए थे. अगले चुनाव में उन्हें खत्री बिरादरी के कांग्रेसी नेता निर्मल खत्री से हार नसीब हुई. फिर कांग्रेस से सुरेंद्र प्रताप सिंह भी यहां से चुनाव जीते. जिन्होंने भाजपा के पिछड़ा वर्ग से आने वाले श्री भगवान जयसवाल को हराया था.
अयोध्या सीट पर प्रत्याशी को लेकर सस्पेंस बरकरार
अयोध्या विधानसभा शुरुआती दौर में वैश्य समाज के पास रही है. उसके बाद दो ब्राह्मण नेता भी यहां का प्रतिनिधित्व किए हैं. कांग्रेस के पास भी यह सीटें रही. लेकिन इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने की चर्चा ने जातिगत समीकरण को समाप्त कर दिया था. जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के टिकट की घोषणा गोरखपुर शहर से हो गई तो एक बार फिर अयोध्या विधानसभा से बीजेपी का चेहरा कौन होगा यह सवाल यहां की जनता पूछ रही है. इन सबके बीच अब सस्पेंस बरकरार है कि अयोध्या से बीजेपी किस चेहरे पर दांव लगाएगी. हालांकि बीजेपी का स्पष्ट संदेश है कि वह जीतने वाले को ही टिकट देगी.
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