UP Chunav 2022: 84 साल पुराना भरोसेमंद साथी चुनाव ड्यूटी में करेगा पुलिस की भरपूर मदद, संवाद में नहीं आने देगा बाधा
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UP Chunav 2022: 84 साल पुराना भरोसेमंद साथी चुनाव ड्यूटी में करेगा पुलिस की भरपूर मदद, संवाद में नहीं आने देगा बाधा

UP Chunav 2022: यूपी विधानसभा चुनाव में राज्य पुलिस ने रेडियो टेलीफोनी सिस्टम का प्रयोग करने की तैयारी में है. इसका इस्तेमाल साल 1938 में कुंभ मेले में भीड़ को नियंत्रित करने में भी किया जा चुका है.

फाइल फोटो.

लखनऊ: यूपी में आने वाले कुछ दिनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में मतदान के दौरान सुरक्षा व निर्वाचन संबंधी प्रशासनिक कामों के लिए कम्युनिकेशन जैसी अति महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा करने का जिम्मा फिर से एक पुराने सैनिक के हाथ में रहेगा. यह सैनिक 84 साल पहले 1938 के जबरदस्त भीड़ वाले कुंभ मेले में तैनाती देकर क्राउड मैनेजमेंट का काम संभाल चुका है, तो वहीं 1970 के दशक में डकैतों के सफाए के अभियान के दौरान भी अपनी सेवाएं दे चुका है. चलिए पहेलियां बुझाने के बजाय हम आपको इस सैनिक का नाम बताते हैं. हम बात कर रहे हैं रेडियो टेलीफोनी सिस्टम की, जो 2022 के विधानसभा चुनावों में एक विश्वसनीय साथी के तौर पर मैदान में उतरेगा और डिजिटल क्रांति के इस युग में अपनी पुरानी काबिलियत के बल पर ही संदेशों के आदान-प्रदान का जिम्मा संभालेगा.

इन इलाकों में मददगार है रेडियो टेलीफोनी सिस्टम
रेडियो टेलीफोनी सिस्टम हाई, वेरी हाई और अल्ट्रा हाई एयर वेव पर काम करता है. ऐसे 456 मतदान केंद्रों पर जहां सेलुलर नेटवर्क मौजूद नहीं, वहां मतदान दलों को इनको ही वितरित किया जाएगा. इस सिस्टम के बल पर ही यह सुनिश्चित हो सकेगा कि मतदान दल और सुरक्षा बल मोबाइल फोन नेटवर्क के लो होने के बावजूद आला अथॉरिटीज से जुड़े रहें. इस डिवाइस का उपयोग करते हुए फील्ड में तैनात मतदान कर्मी जिला निर्वाचन अधिकारियों और कंट्रोल रूम को चुनावी कार्यवाही को लेकर अपडेट देते रहेंगे. इसके साथ ही किसी घटना की आशंका के दौरान तत्काल उन्हें सतर्क कर सकेंगे. इस टेकनीक का इस्तेमाल उन इलाकों में किया जाएगा, जहां मोबाइल फोन सिग्नल कम, सीमित या नेटवर्क नहीं होगा. 

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दुनिया भर की पुलिस इस सिस्टम का करती है इस्तेमाल
पुलिस महकमे में तो अभी भी इस सिस्टम पर भरोसा जताया जाता है. मीडिया से बात करते हुए एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि इसे सिर्फ पुराना कहकर खारिज करने से कुछ नहीं होगा. यह दुनिया भर में पुलिस एजेंसियों द्वारा निगरानी के लिए इसका इस्तेमाल होता है. यह कम्युनिकेशन का बेहद भरोसेमंद टूल है. एक अंग्रेजी अखबार के रिपोर्ट के मुताबिक, वायरलेस कर्मी भी रेडियो टेलीफोनी सिस्टम को काफी भरोसेमंद मानते हैं. एक पूर्व वायरलेस टेलीफोनी यूनिट कर्मचारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में फोर्थ जनरेशन के माइक्रोप्रोसेसर पर आधारित फीचर्ड रेडियो सेट का उपयोग किया जा रहा है. इसको चलाने वाले पास कॉलर की पहचान, ग्रिड जाम को खत्म करने, ग्रिड डिसिप्लिन मेंटेन रखने जैसी सुविधाएं मौजूद होती हैं. इसमें सिलेक्टिव कॉल भी किये जा सकते हैं. जिससे सिर्फ एक ग्रुप में, यहां तक ​​कि केवल कुछ यूजर्स के बीच ही कम्युनिकेशन लिमिटेड किया जा सकता है.

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संवेदनशील जिलों में है बेहद मददगार
अधिकारियों की मानें तो पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती, ललितपुर, मेरठ, चंदौली और सोनभद्र जैसे जिलों में निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कम्युनिकेशन बेहद जरूरी है. ऐसे में  रेडियो टेलीफोनी बेहद महत्तवपूर्ण भूमिका निभाता है. सोनभद्र में तैनात एक अधिकारी ने कहा कि ईवीएम आने से हेरफेर की गुंजाइश शून्य हो गई है, लेकिन अन्य कई समस्याएं भी हैं. जो वोट डालने में बाधा डालती हैं, जैसे- बिजली कटौती. ऐसी स्थिति में उम्मीदवारों को बाद में चुनाव आयोग पर उंगली उठाने का मौका मिल जाता है. इसलिए प्रभावी संचार हमें समस्या को दूर करने में मदद करता है. बता दें कि सोनभद्र जिला चार राज्यों की सीमा से जुड़ा है, जिसमें मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ शामिल हैं. इस कारण ये जिला बेहद संवेदनशील है. वायरलेस टेलीफोनी क्राउड मैनेजमेंट, कानून और व्यवस्था को बनाए रखने में भी मददगार है.

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