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लखनऊ. देश दुनिया में भले ही ओमिक्रॉन को लेकर काफी सारी बातें की जा रही हों, पर यूपी ने इस माइल्ड वैरिएंट को अपने प्रदेश में नो एंट्री साइन दिखाने के लिए पूरी कमर कस ली है. बिना समय नष्ट किए सरकार ने प्रदेश के शासकीय तथा निजी कोविड अस्पतालों की तैयारी की समीक्षा करना शुरू कर दी है. अपनी युद्धस्तरीय तैयारियों की यहां मॉक ड्रिल भी की जा रही है. यूपी सरकार तीन व चार जनवरी को प्रदेश भर में एक साथ मॉक ड्रिल करने की तैयारी कर रही है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी तथा डॉक्टर व विशेषज्ञ संसाधनों पर लगातार नजर रखे हुए हैं. वेंटिलेटर की संख्या जरूरत के अनुसार बढ़ाने की पूरी तैयारी है. बच्चों की सेहत से काेई समझाैता न करने को तैयार सरकार नीकू, पीकू की संख्या भी बढ़ाने के तत्पर है. 551 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट अभी तक पूरे यूपी में एक्टिव कर दिए गए हैं. यूपी में इस वैरिएंट का फैलाव नगण्य है फिर भी उत्तर प्रदेश ने सतर्कता बरतते हुए विगत बुधवार को महामारी रोग अधिनियम (Epidemic Diseases Act) को 31 मार्च 2022 तक बढ़ा दिया था.
कोरोना को नहीं फैलने देंगे
कोरोना को भी प्रदेश में न फैलने देने के लिए यूपी में व्यवस्थाएं चाक चौबंद हैं. यहां 18 वर्ष से अधिक आयु की 50 फीसदी आबादी का टीकाकरण पूर्ण हो गया है. 07 करोड़ 38 लाख 76 हजार से अधिक लोगों ने कोविड टीके की दोनों खुराक प्राप्त कर ली है. 12 करोड़ 83 लाख से अधिक यानि कि 87.05% लोग टीके की कम से कम एक खुराक प्राप्त कर चुके हैं. वर्तमान में प्रदेश में कोविड पॉजिटिविटी दर 1.84 है, जबकि रिकवरी दर बेहद उच्च 98.6 है. प्रदेश में कुल एक्टिव कोविड केस की संख्या 1725 ही है, जबकि 16 लाख 87 हजार 896 मरीज उपचारित होकर स्वस्थ हो चुके हैं.
निगरानी समितियां फिर एक्टिव
सीएम योगी आदित्यनाथ ने निर्देश जारी करते हुए कोरोना निगरानी समितियों को एक्टिव कर दिया है. अब ये समितियां डोर-टू-डोर टीकाकरण की स्थिति का सर्वे करेंगी और जो लोग टीकाकरण से रह गए हैं, उन्हें चिन्हित किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि पिछली लहर में भी ये काेरोना वायरस निगरानी समितियां संक्रमण को रोकने में काफी महत्वपूर्ण साबित हुई थीं. ये समितियां गांव व शहरों में जाकर हर वार्ड में ट्रेसिंग व टेस्टिंग का काम संभालेंगी. इनकी मदद से ही चिन्हित संक्रमितों को होम क्वारन्टीन कराया और इलाज के लिए ले जाया जाएगा.
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