UP Rajya Sabha Election: सभी 11 सीटों पर निर्विरोध जीते प्रत्याशी, जानें किन्हें मिली संसद में जगह
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UP Rajya Sabha Election: सभी 11 सीटों पर निर्विरोध जीते प्रत्याशी, जानें किन्हें मिली संसद में जगह

इन 11 राज्यसभा सीटों में से किसी एक पर भी 2 उम्मीदवार नहीं खड़े हैं. ऐसे में चुनाव की स्थिति नहीं बनी और सभी निर्विरोध चुनाव जीत रहे हैं. जानते हैं कौन हैं ये प्रत्याशी-

UP Rajya Sabha Election: सभी 11 सीटों पर निर्विरोध जीते प्रत्याशी, जानें किन्हें मिली संसद में जगह
Rajya Sabha Election for UP: यूपी की 11 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है. इन सभी 11 सीटों पर जो प्रत्याशी खड़े हैं, उनका निर्विरोध जीतना तय है. इन 11 में से 8 पर बीजेपी के प्रत्याशी हैं और बाकी 3 पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार. बीजेपी से दिग्गज नेता लक्ष्मीकांत बाजपेयी, राधा मोहन दास अग्रवाल, सुरेंद्र सिंह नागर, बाबूराम निषाद, दर्शना सिंह, संगीता यादव, मिथिलेश कुमार और के. लक्ष्मण खड़े हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी ने जावेद अली खान पर दोबारा भरोसा जताया है. इसके अलावा, निर्दलीय कपिल सिब्बल और रालोद प्रमुख जयंत चौधरी को सपा की तरफ से समर्थन मिला है. 
 
सभी निर्विरोध बनेंगे सांसद
इन 11 राज्यसभा सीटों में से किसी एक पर भी 2 उम्मीदवार नहीं खड़े हैं. ऐसे में चुनाव की स्थिति नहीं बनी और सभी निर्विरोध चुनाव जीत रहे हैं. जानते हैं कौन हैं ये प्रत्याशी-
 
जयंत चौधरी 
साल 2009 में जयंत चौधरी पहली बार मथुरा सीट से लोकसभा चुनाव लड़े और पहली ही बार में जीत दर्ज की. उस समय उन्हें 3.75 लाख से ज्यादा वोट मिले थे. फिर, साल 2012 में जयंत ने मथुरा की मांट सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और फिर जीते. साल 2021 में पिता चौधरी अजित सिंह के देहांत के बाद, जयंत चौधरी को रालोद की कमान सौंपी गई और वह पार्टी अध्यक्ष बन गए. इतना ही नहीं, साल 2017 से जयंत चौधरी यूपी के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भी शामिल हैं.
 
लक्ष्मीकांत बाजपेयी
साल 2014 में लक्ष्मीकांत बाजपेयी यूपी बीजेपी के अध्यक्ष थे. उस दौरान लोकसभा चुनाव उन्हीं की अगुवाई में हुआ और बीजेपी को 80 में से 71 सीटें मिलीं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सभी 14 सीटें बीजेपी के हाथ में आई थीं. हालांकि, विचारों के मतभेद की वजह से और कुछ सियासी कारणों से बाजपेयी को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर केशव प्रसाद मौर्य को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी. उस समय से लक्ष्मीकांत वाजपेयी राजनीतिक वनवास झेल रहे हैं.
 
​डॉ. के लक्ष्मण
साल 2014 में के. लक्ष्मण तेलंगाना के मुशीराबाद विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक बने. 2016 में उन्हें भाजपा नेतृत्व ने तेलंगाना का बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाया. इसी के साथ राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. के लक्ष्मण उच्च सदन में जगह बनाने वाले पहले तेलंगाना बीजेपी नेता बने.
 
राधा मोहन दास अग्रवाल
सीएम योगी आदित्यनाथ से पहले गोरखपुर की सदर सीट से डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल विधायक थे. इन्होंने अपना राजनीतिक सफर साल 1998 में गोरखनाथ मठ से शुरू किया था.
 
सुरेंद्र सिंह नागर
सुरेंद्र सिंह नागर मौजूदा राज्यसभा सांसद तो हैं ही, साथ ही बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी. इस बार उन्हें फिर से टिकट दिया गया है. सुरेंद्र नागर गुर्जर बिरादरी के बड़े नेता माने जाते हैं. वह फिलहाल, राज्यसभा में उपसभापति हैं. नागर मूल रूप से बुलंदशहर के रहने वाले हैं और गौतमबुद्ध नगर के पूर्व लोकसभा सांसद भी.
 
बाबूराम निषाद
बीजेपी नेता बाबू राम निषाद बुंदेलखंड के बीजेपी क्षेत्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. बाबूराम निषाद योगी सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री भी रहे हैं. कहा जाता है कि बाबू राम के काम से गृहमंत्री अमित शाह काफी प्रभावित हैं और उमा भारती के भी बेहद करीबी माने जाते हैं.
 
संगीता यादव
संगीता यादव गोरखपुर के चौरीचौरा से विधायक रह चुकी हैं. हालांकि, इस बार उनका विधान सभा टिकट कट गया था. अब उन्हें राज्यसभा सांसद का टिकट दिया गया है.
 
दर्शना सिंह
चंदौली बीजेपी महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष के रूप में अपने सियासी करियर की शुरुआत करने वालीं दर्शना सिंह क्षेत्रीय मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुकी हैं. कुछ समय बाद उन्हें महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया. बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा टिकट दिया है. 
 
जावेद अली खान
जावेद अली समाजवादी पार्टी से रास सांसद रह चुके हैं. उन्होंने साल 2014 से 2020 तक राज्यसभा सांसद का पद संभाला. पहले वे छात्र राजनीति में भी एक्टिव रहे हैं. वह जामिया छात्र संघ के महासचिव रह चुके हैं और फिर अपने काम के जरिए देश की राजनीति का हिस्सा बन गए. बता दें, जावेद संभल के रहने वाले हैं.
 
​मिथिलेश कुमार
मिथिलेश कुमार राज्य अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष हैं. अब बीजेपी के टिकट पर राज्यसभा जा रहे हैं. वह उन्होंने साल 2002 में पुवायां सुरक्षित सीट निर्दलीय विधायक बने. इसके बाद सपा सरकार को समर्थन दिया और 2003 में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार में दर्जा राज्यमंत्री बनाए गए.
 
कपिल सिब्बल
कांग्रेस के बड़े नेता रहे कपिल सिब्बल एक प्रतिष्ठित वकील भी हैं. कपिल सिब्बल को भारत की सिविल सेवा में शामिल होने का प्रस्ताव दिया गया था, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया. कपिल सिब्बल को साल 1995 और 2002 के बीच भारत के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में भी तीन बार चुना गया. अब कपिल को सपा के समर्थन पर निर्दलीय राज्यसभा का टिकट मिला और वह निर्विरोध चुनाव जीतेंगे.
 

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