BJP v/s SP कैंपेन सॉन्ग: एक तरफ सपा 'खेला होईबे, खदेड़ा होइबे' की बात कर रही है तो वहीं बीजेपी विपक्षियों को 2022 की चिंता छोड़कर 2027 की तैयारी करने को कह रही है.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अगले साल यानी 2022 में विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Chunav 2022) होने हैं. चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं. ऐसे में सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है. इसी बीच प्रदेश में सॉन्ग v/s सॉन्ग राजनीति हो शुरू हो गई है. दरअसल, बीजेपी और सपा दोनों की तरफ से 2022 चुनाव के लिए नया कैंपेन सॉन्ग लॉन्च (BJP v/s SP New Campaign Song) किया गया है. जहां एक तरफ सपा 'खेला होईबे, खदेड़ा होइबे' की बात कर रही है तो वहीं बीजेपी विपक्षियों को 2022 की चिंता छोड़कर 2027 की तैयारी करने को कह रही है.
बंगाल चुनाव की तर्ज पर बनाया कैंपेन सॉन्ग
समाजवादी पार्टी के गाने का टाइटल 'यूपी में खेला होईबे, खदेड़ा होइबे' है. गाने के बोल से साफ है कि यूपी में 'खेला होने' की बात कही जा रही है. यह गाना अवधी भाषा में हैं. इस गाने को समाजवादी पार्टी के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया गया है. गौरतलब है कि सपा का चुनावी गाना वेस्ट बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के चुनावी स्लोगन 'खेला होबे' से मिलता-जुलता है.
भाजपा सरकार पर साधा निशाना
समाजवादी पार्टी की इस चुनावी गीत में प्रदेश की बीजेपी की सरकार पर निशाना साधा गया है. इसमें कहा गया है कि इस बार बीजेपी मुंह के बल गिर जाएगी और अंत में सारा झमेला खत्म हो जाएगा. गानें में कहा गया है कि जोर जबरदस्ती और तानाशाही नहीं चलेगी. इसके साथ ही महंगाई की मार का भी जिक्र किया गया है. फिलहाल अब देखना ये होगा कि प्रदेश की जनता को सपा का ये कैंपेन सॉन्ग और ये कोशिश कितनी पसंद आती है.
बीजेपी ने भी जारी किया नया कैंपेन सॉन्ग
वहीं, सपा के गीत को चुनौती देते हुए भारतीय जनता पार्टी ने भी कैम्पेन सॉन्ग लॉन्च कर दिया है. सॉन्ग का टाइटल है 'झंडा बीजेपी का लहरी, केहू आगे नाही ठहरी यही यूपी के पुकार, फेर बनी भाजपा सरकार'. इस गाने में बीजेपी की तरफ से कहने की कोशिश की जा रही है कि 2027 की तैयारी करें. 2022 में तो बीजेपी आ ही रही है. वहीं, गाने में दावा किया गया है कि 2022 में भी योगी आदित्यनाथ ही चुनाव जीतकर सत्ता में आएंगे.
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सपा ने पिछले चुनाव में दिया था 'काम बोलता है' का नारा
समाजवादी पार्टी ने पिछले चुनाव में अखिलेश के कार्यकाल के दौरान हुए विकास कार्यों को लेकर 'काम बोलता है' का स्लोगन दिया था. हालांकि, जनता ने अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जोड़ी को नकार दिया. ऐसे में सपा एक बार फिर 2022 में वोटर्स को लुभाने के लिए क्रिएटिव कैंपेन में जुट गई हैं.
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