उत्तराखंड पुलिस ने स्वामी आनंद गिरी के घर को चारों ओर से घेरा, कभी भी ले सकती है हिरासत में
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उत्तराखंड पुलिस ने स्वामी आनंद गिरी के घर को चारों ओर से घेरा, कभी भी ले सकती है हिरासत में

उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि आनंद गिरि हरिद्वार पुलिस के निगरानी में हैं. हमारी पुलिस, यूपी पुलिस की टीम का इंतजार कर रही है. 

महंत नरेंद्र गिरी और उनके शिष्य आनंद गिरी. (फाइल फोटो)

देहरादून: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bharatiya Akhara Parishad) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी (Narendra Giri Death) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है. उनका शव बाघम्बरी गद्दी मठ के एक कमरे में पंखे पर फंदे से लटकता हुआ मिला है. नरेंद्र गिरी की मौत को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं. वहीं, पुलिस को मौके से सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें उनके शिष्य आनंद गिरी से विवाद का जिक्र किया गया है. 

पुलिस ने आनंद गिरी के घर को घेरा 
यूपी पुलिस ने इस बात को लेकर उत्तराखंड पुलिस से कोई संपर्क नहीं किया है. सुसाइड नोट में नाम आने के बाद पुलिस ने खुद से संज्ञान लिया. मामले की जानकारी होते ही हरिद्वार के कांगड़ी इलाके में आनंद गिरी महाराज के आवास को चारों तरफ से पुलिस ने घेर लिया है. घर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी लगाए गए है. ऐसे में कभी भी आनंद गिरी की गिरफ्तारी हो सकती है. बता दें कि आनंद गिरी इस समय हरिद्वार में है. वह कल प्रयागराज पहुंचने की तैयारी कर रहे थे. उत्तराखंड डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि आनंद गिरि हरिद्वार पुलिस के निगरानी में हैं. हमारी पुलिस यूपी पुलिस की टीम का इंतजार कर रही है. टीम के आने के बाद यूपी पुलिस गिरफ्तार करेगी. 

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आनंद गिरी ने बताया साजिश 
शिष्य आनंद गिरी ने दावा किया है कि उनके गुरु नरेंद्र गिरी की मौत सामान्य नहीं है. उनके खिलाफ बड़ी साजिश हुई है. आनंद गिरी ने कहा कि हमें इसलिए अलग किया गया ताकि एक का काम तमाम हो सके. वहीं अपने गुरु से विवादों पर आनंद गिरी ने कहा कि मेरा उनसे नहीं बल्कि मठ की जमीन को लेकर विवाद था. शक के दायरे में कई लोग हैं, उन लोगों ने ही नरेंद्र गिरी को मेरे खिलाफ किया. 

2007 में जुड़े थे अखाड़े से
उत्‍तराखंड के रहने वाले 38 वर्षीय स्वामी आनंद गिरि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य हैं. वह देश-विदेश में योग सिखाने का काम करते हैं. जानकारी के मुताबिक, आनंद गिरी हरिद्वार के एक आश्रम में महंत नरेंद्र गिरी से मिले थे. नरेंद्र गिरी को लगा कि आनंद उनका अच्‍छा शिष्‍य बन सकता है, इसलिए उन्‍हें वह अपने साथ प्रयागराज ले आए. आनंद गिरी 2007 में निरंजनी अखाड़े से जुड़े और इसी अखाड़े में महंत बने. 

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