UP News : यमुना एक्सप्रेसवे भूमि घोटाला, कोर्ट ने आरोपियों को राहत देने से इनकार किया
यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी से जुड़ा है मामला. अधिकारियों पर अपने परिचितों को अत्यधिक भुगतान करने का आरोप.
प्रयागराज : यमुना एक्सप्रेसवे भूमि घोटाले में आरोपियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपियों को राहत देने से इनकार कर दिया है. इतना ही नहीं कोर्ट ने मामले की सुनवाई मेरठ से गाजियाबाद सीबीआई की विशेष कोर्ट भ्रष्टाचार निरोधक में करने की सीबीआई की अर्जी को स्वीकार कर लिया. साथ ही प्रतिदिन सुनवाई का आदेश दिया. कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी को मामले की जांच जल्द पूरी करने का भी निर्देश दिया.
यह है पूरा मामला
दरअसल, यह पूरा मामला यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी से जुड़ा हुआ है. अथॉरिटी ने मथुरा के 7 गांवों में 57.1549 हेक्टेयर भूमि खरीदी. आरोप है कि भूमि के एवज में भुगतान में गड़बड़ी की गई. परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने अपने परिचितों को अत्यधिक भुगतान कर दिए. इसमें कुल 85.49 करोड़ मुआवजा दिया गया.
मामले में 21 लोग नामजद
मामले में अथॉरिटी के सीईओ ने जांच की तो गड़बड़ी सामने आ गई. मामले में 21 नामजद के साथ बड़ी संख्या में अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई गई. बाद में यूपी सरकार ने मामले को जांच के लिए सीबीआई को रेफर कर दिया गया. वहीं, कुछ मुद्दों की जांच का जिम्मा प्रवर्तन निदेशालय को भी दिया गया.
कोर्ट ने 7 बिंदुओं पर आदेश पारित किया
आरोपियों ने दोनों जांच एजेंसियों की ओर से दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी और उसे रद्द करने की मांग की थी. न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति वैज मियां की खंडपीठ ने प्रमोद चंद्र गुप्ता, सोनाली गुप्ता व अन्य, गौरव कुमार की याचिका को खारिज और सीबीआई की ओर से दाखिल स्थानांतरण अर्जी को स्वीकार कर लिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कुल 7 बिंदुओं पर आदेश पारित किए. मामले में कुल 6 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई चल रही थी.