देहरादून: सूबे में बंदरों की बढ़ती संख्या ने उत्तराखंड सरकार को खासा परेशानी में डाल दिया है. उत्तराखंड राज्य ने बंदरों को वन क्षेत्र से बाहर पीडक वन्यजीव घोषित किए जाने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा है. सोमवार को हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में भी बंदरों की बढ़ती संख्या और उससे हो रहे नुकसान का विषय आया. इस पर बोर्ड को यह जानकारी दी गई कि इस संबंध में भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. यानि वन क्षेत्र से बाहर बंदरों को पीडक वन्यजीव घोषित कर उन्हें मारने की परमिशन दिए जाने से जुड़ा प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जा चुका है. 


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हिंदू धर्म की आस्था का प्रतीक हैं बंदर 
हिंदू धर्म में बंदरों को धार्मिक मान्यता और आस्था से जोड़कर देखा जाता है. ऐसे में उत्तराखंड राज्य के इस प्रस्ताव पर भारत सरकार से अनुमति मिलती है या नहीं, ये दिलचस्प बात बन चुकी है. राज्य के वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत का यह कहना है कि मौजूदा वक्त में सूअर और बंदर खेती को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं. सूअर को मारने की तो परमिशन राज्य में पहले से है, लेकिन बंदरों को लेकर ऐसा नहीं है.मंत्री हरक सिंह रावत की माने तो बंदरों का परिवार नियोजन भी किया गया, लेकिन वह प्रयोग सफल नहीं रहे. ऐसे में बंदरों से आज लोग परेशान हैं क्योंकि वे नुकसान पहुंचा रहे हैं और हिंसक भी हो रहे हैं.


मंत्री हरक सिंह रावत खुद हैं असमंजस में 
भारत सरकार को इस संबंध में प्रस्ताव भेजने वाले वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत खुद यह कहते हैं कि अगर इस बात अनुमति मिल भी जाती है तो कोई भी बंदरो को मारेगा नहीं. उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर कहा कि वे खुद भी नहीं मारेंगे, भले ही वे इसकी अनुमति मांग रहे हैं. अब जब मंत्री खुद असमंजस में हैं तो फिर वन विभाग बंदरों को कैसे मार पाएगा? 


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हिमाचल प्रदेश ने भी ली थी बंदरों को मारने की अनुमति 
इसी साल मई महीने में हिमाचल प्रदेश ने भी केंद्र सरकार से बंदरों को मारने की अनुमति ली थी. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने बंदरों को वर्मिन यानी पीड़क जंतु घोषित करने के बाद प्रदेश की 91 तहसीलों, उपतहसीलों में प्रभावित किसानों इन्हें मारने की अनुमति मिली थी. वर्मिन घोषित होने की अवधि एक साल के लिए मान्य है. 


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