Kedarnath Dham Ropeway: केदारनाथ को रोपवे का तोहफा, 8 घंटे की जगह 30 मिनट में होगा सोनप्रयाग से सफर, जानें PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट की खूबियां
पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई है. ..इस रोपवे के बनने से सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम के बीच की दूरी काफी कम हो जाएगी.
देहरादून/कुलदीप नेगी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ धाम के दौरे से पहले राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में केदारनाथ रोपवे को मंजूरी मिल गई है. इस रोपवे के बनने से सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम के बीच की दूरी काफी कम हो जाएगी. इस परियोजना पर एक हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. रोपवे बनने के बाद राज्य में पर्यटकों की संख्या बढ़ने की उम्मीद की जा रही है.
केदारनाथ में दुनिया का सबसे लंबा रोपवे बनाने की योजना
उत्तराखंड सरकार केदारनाथ में दुनिया का सबसे लंबा रोपवे बनाने की योजना बना रही है जो उत्तराखंड के चारधामों में से एक है. केदारनाथ रोपवे द्वारा सोनप्रयाग से केदारनाथ तक की दूरी 13 किलोमीटर होगी. केदारनाथ रोपवे समुद्र तल से 11,500 फीट (3,500 मीटर) की ऊंचाई पर दुनिया के सबसे ऊंचे रोपवे में से एक होगा. केदारनाथ के लिए रोपवे से सोनप्रयाग से केदारनाथ पहुंचने में लगने वाला समय भी कम हो जाएगा. तीर्थयात्री सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम केवल 1 घंटे में रोप-वे से पहुंचेंगे, जबकि पैदल/टट्टू से लगभग 8 से 12 घंटे का समय लगता है.
श्रद्धालु केदारनाथ धाम का सफर बहुत ही कम समय में और आसानी से कर सकेंगे. इससे श्रद्धालुओं की संख्या में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. दरअसल केदारनाथ धाम के लिए रोपवे के निर्माण का प्रस्ताव वैसे तो पहले ही स्वीकृत हो चुका था , लेकिन इसे राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की क्लीयरेंस मिली भी जरूरी थी. इसकी लागत करीब 1200 करोड़ है , और इससे सोनप्रयाग से केदारनाथ के बीच की दूरी बहुत कम समय में तय हो सकेगी.
हेमकुंड साहिब रोपवे को भी हरी झंडी
प्रमुख सचिव, वन एवं लोनिवि, आरके सुधांशु के मुताबिक राष्ट्रीय वन्य जंतु बोर्ड ने केदारनाथ सेंक्चुरी एरिया में रोपवे के निर्माण को स्वीकृति दे दी है. इसके साथ ही केदारनाथ के पैदल ट्रेक व हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना को भी बोर्ड ने हरी झंडी दिखा दी है. इस परियोजना में कुल 26 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की जाएगी. इन परियोजनाओं का निर्माण केंद्र सरकार की पर्वतमाला परियोजना के तहत किया जाएगा. हेमकुंड साहिब रोपवे को भी हरी झंडी राष्ट्रीय वन्य जंतु बोर्ड ने सेंचुरी क्षेत्र नहीं होने के कारण हेमकुंड रोपवे परियोजना को मंजूरी को जरूरी नहीं माना. ऐसे में अब इस परियोजना को भी हरी झंडी मिल गई है.
रोपवे की क्षमता प्रति घंटा 5 हजार यात्रियों को ले जाने की होगी. इसके साथ ही राष्ट्रीय वन्य जंतु बोर्ड ने रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक साढ़े 5 किलोमीटर पैदल ट्रैक के निर्माण को भी मंजूरी दे दी है. बता दें कि यह मार्ग 2013 की आपदा में पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था.
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