बनारस के बिल्ले बढ़ाते हैं विदेशी सैनिकों की शान, अमेरिका से इंग्लैण्ड तक के फौजी हैं दीवाने
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बनारस के बिल्ले बढ़ाते हैं विदेशी सैनिकों की शान, अमेरिका से इंग्लैण्ड तक के फौजी हैं दीवाने

वाराणसी में बनने वाले बैज आज पूरी दुनिया के फौजियों के कंधों पर सजकर उनकी शान बढ़ा रहे हैं. यहां बैज (बिल्ले) बनाने का काम लंबे समय से चल रहा है. अमेरिका, स्पेन, बुल्गारिया, रोमानिया और आस्ट्रेलिया से यहां के कारीगरों के पास ऑर्डर आते हैं.

बनारस के बिल्ले बढ़ाते हैं विदेशी सैनिकों की शान, अमेरिका से इंग्लैण्ड तक के फौजी हैं दीवाने

नवीन पाण्डेय/वाराणसी: ब्रिटिश सरकार ने अपने सैनिकों की बदौलत भारत पर दो सौ साल तक राज किया. आज उसी ब्रिटिश हुकूमत के सैनिक भारत में बने बैज (बिल्ले) कंधों पर सजाकर अपनी शान समझते हैं. उत्तर प्रदेश के वाराणसी में विदेशी सैनिकों के लिए बैज बनाने का काम किया जाता है. यहां बनने वाले बैज दुनिया भर के फौजियों के लिए शान बढ़ाने का सबब हैं. यहां के कारीगरों के हाथों का हुनर देखकर बाकी देशों के सैनिक दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं. 

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सात समंदर पार है इनकी चमक
वाराणसी में बनने वाले बैज कई देशों में सप्लाई किए जाते हैं. अमेरिका, इंग्लैण्ड, आयरलैंड, दुबई, जापान समेत यूरोप के देशों में निजी कंपनियों के ऑर्डर पर यहां बैज तैयार किए जाते हैं. जरी के जरिए यहां के कारीगर सिर्फ बैज ही नहीं बल्कि सजावटी सामान और कपड़े भी तैयार करते हैं. यूरोप के कुछ बड़े व्यापारी तो अपने एजेंट के जरिए जरदोजी के कपड़ों से बनी महिलाओं की पोशाक भी खरीदते हैं. 

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करोड़ों का है टर्नओवर
वाराणसी की इस कला के विदेशी पूरी तरह से दीवाने हैं. विदेशों में ये कला इस कदर पैठ बना चुकी है कि हर साल इससे करोड़ों का कारोबार होता है. कारीगर बताते हैं कि अमेरिका, स्पेन, बुल्गारिया, रोमानिया और आस्ट्रेलिया से क्रिसमस और न्यू-ईयर के लिए हर साल बड़े ऑर्डर आते हैं. अकेले वाराणसी में ही इससे हजारों की संख्या में कारीगरों को रोजगार मिलता है. 

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