Shraddha At Dashashwamedh Ghat in Varanasi: वाराणसी में पितृपक्ष में अनोखा श्राद्ध किया गया. यहां मौत के आगोश में पहुंची 18 हजार अजन्मी बेटियों का पिंडदान किया गया है.
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दिनेश कुमार मिश्रा/वाराणसी: पितृपक्ष में अपने पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करने के लिए लोग पिंडदान कर रहे हैं. वहीं, मोक्ष नगरी वाराणसी में भी लोग दूर दूर से आकर अपने पतरों का पिंडदान कर रहे हैं. गुरुवार की बात करें तो यहां शाम के समय दशाश्वमेघ घाट पर गंगा किनारे अनोखा पिंडदान किया गया. यह पिंडदान अजन्मी मृत बेटियों को मोक्ष प्रदान करवाने के लिए समर्पित था. पिंडदान में कुल 18 हजार अजन्मी बेटियों के नाम से पिंड बनाकर पूरे विधि विधान से श्राद्ध किया गया और उन्हें गंगा में विसर्जित कर दिया गया.
अजन्मी बेटियों को मोक्ष देने की लालसा
हमारे समाज में आज भी बेटियों के जन्म पर उत्सव नहीं होता बल्कि मातम फैल जाता है. इसके कई उदाहरण आज भी समाज में देखने को मिल जाते हैं. कुछ ऐसे लोग भी जिन्हें अगर पता चल जाए कि माता के गर्व में बेटी पल रही है तो उसको जन्म से पहले ही मार देचे हैं. ऐसे में वाराणसी में ऐसी अजन्मी और समय से पहले मार दी गई बेटियों का श्राद्धकर्म एक समाजसेवी सस्था द्वारा पिछले कई सालों से किया जा रहा है. संस्था द्वारा इस पूजन में अजन्मी बेटियों को मोक्ष देने की लालसा से श्राद्ध किया जाता है.
मुंडन परंपरा का भी निर्वहन किया जाता है
हर साल की तरह इस बार भी बेटियों का श्राद्धकर्म किया गया. इस बार 18 बेटियों के नाम पिंड बनाकर श्राद्ध किया गया. समाजसेवी संस्था द्वारा बाकायदा पिंडदान करने वाला व्यक्ति उनके पिता के तौर पर इस श्राद्ध को संपन्न करता है. जिसके लिये मुंडन परंपरा का भी निर्वहन किया जाता है. संस्था द्वारा इस पूजन से बेटियों की आत्मा को शांति को मिलती ही है साथ ही उन लोगो को भी इससे संदेश मिलता है कि बेटियों को इस तरह से जन्म से पहले या जन्म के साथ ही खत्म कर देना कितना बड़ा पाप है.