Gyanvapi Case: हिन्दू पक्ष को ज्ञानवापी मामले में क्यों लगा तगड़ा झटका, सर्वे और खुदाई की मांग खारिज
gyanvapi Case Latest News Update in Hindi: वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी कथित ज्ञानवापी मस्जिद की जगह क्या वाकई कोई हिन्दू मंदिर था या नहीं. इस पर शुक्रवार को कोर्ट का फैसला आया, हिन्दू पक्ष और मुस्लिम पक्ष की निगाहें इस पर टिकी थीं.
Gyanvapi Case Latest News in Hindi: वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े ज्ञानवापी केस में हिन्दू पक्ष को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा है. वाराणसी की सिविल जज की कोर्ट ने वजूखाने समेत पूरे परिसर के एएसआई सर्वे कराने और मुख्य गुंबद की नीचे खुदाई कराने की अपील खारिज कर दी है. ज्ञानवापी से जुड़े इस 35 साल पुराने मामले में सभी की निगाहें टिकी थीं. यह मामला भगवान विश्ववेश्वर बनाम अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के बीच था. हिन्दू पक्ष ने यहां पूजा और मंदिर निर्माण का भी अधिकार मांगा था. उसने यहां मुख्य गुंबद के नीचे खुदाई कर एएसआई सर्वे की मांग की थी, जिसे भी अदालत ने खारिज कर दिया है. जबकि मुस्लिम पक्ष इसे लगातार मस्जिद बताकर अपना दावा ठोकता रहा है. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस क्षेत्र को संरक्षित कर रखा है, लिहाजा उस पर निचली अदालत कोई फैसला नहीं दे सकती.
सिविल जज सीनियर डिविजन के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने हिन्दू पक्ष के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया. हिंदू पक्ष से ज्ञानवापी के वकील मदन मोहन का कहना है कि कोर्ट के फ़ैसले के खिलाफ हम उच्च अदालत में अपील करेंगे. इसको लेकर ज्ञानवापी परिसर के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी. हिन्दू पक्ष लगातार ज्ञानवापी परिसर की एएसआई सर्वे रिपोर्ट का हवाला दे रहा था, जिसमें तमाम हिन्दू देवी देवताओं और प्रतीक चिन्हों की आकृतियां मिली हैं. कोर्ट ने वजूखाने के एएसआई सर्वे की याचिका भी खारिज की है. हिन्दू पक्ष के मंदिर मस्जिद विवाद से जुड़े तमाम मामले देखने वाले हरि शंकर जैन ने कहा कि हम मजबूती से ऊपरी कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे.
हिन्दू पक्ष ने यहां मुख्य गुंबद के नीचे शिवलिंग का दावा किया था और इसी आधार पर हिन्दू पक्ष ने यहां खुदाई कराकर एएसआई सर्वे कराने की मांग की थी. हिन्दू पक्ष का कहना है कि मुख्य गुंबद के 100 फीट नीचे स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है, लिहाजा खुदाई जरूरी है. जबकि मुस्लिम पक्ष इसका विरोध कर रहा है. उसका कहना है कि खुदाई से मस्जिद स्थल को नुकसान पहुंच सकता है. सील वजूखाने को भी सौंपने की मांग हिन्दू पक्ष ने की थी.
वर्ष 1991 में सोमनाथ व्यास ने यह याचिका दायर की थी औऱ ज्ञानवापी को भगवान विश्वेश्वर का स्थल बताया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय से छह महीने के भीतर फैसला देने को कहा था. 19 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान हिन्दू और मुस्लिम पक्ष की दलीलें पूरी हो गई थीं.
हिन्दू पक्ष ने ज्ञानवापी को मंदिर बताते हुए यहां बाल कृष्ण की खंडित मूर्ति का उदाहरण दिया है. हनुमान जी की खंडित मूर्ति यहां मिली है.हिन्दू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी में स्वयंभू ज्योर्तिलिंग है, जबकि मुस्लिम पक्ष कहता रहा है कि यहां कोई मंदिर नहीं है. हिन्दू पक्ष का दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर यहां मस्जिद का निर्माण कराया था. मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां पहले से मस्जिद रही है और आज भी है.
हिन्दू पक्ष के वकील मदन मोहन का कहना है कि आज मुख्य तौर पर एएसआई सर्वे के एडिशनल ऑर्डर के संबंध में है, जो कि 25 दिसंबर 2023 को जो एएसआई सर्वे का आदेश आया था. इस मुकदमे में वजूखाने से पहले ही एएसआई सर्वे की मांग की गई थी. लेकिन मुस्लिम पक्ष ने पूजा स्थल कानून का हवाला देते हुए इसका विरोध कर दिया था. लेकिन जब वजूखाने में एएसआई सर्वे का आदेश हो चुका है, तो इस केस में में रोक का कोई मतलब नहीं है.
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