ज्ञानवापी का 1300 साल पुराना इतिहास, सौ साल पुरानी अदालती जंग में कब क्या हुआ, पढ़ें पूरी टाइमलाइन
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ज्ञानवापी का 1300 साल पुराना इतिहास, सौ साल पुरानी अदालती जंग में कब क्या हुआ, पढ़ें पूरी टाइमलाइन

Gyanvapi Case Timeline: वाराणसी की ज्ञानवापी में किए गए सर्वे से यह बात सार्वजनिक हो चुकी है कि मस्जिद परिसर के नीचे मंदिर का ढांचा है. ज्ञानवापी का अदालती विवाद कोई आज का मामला नहीं है बल्कि 100 साल से अधिक समय से मामला कोर्ट में रहा है.

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Gyanvapi Case: वाराणसी का ज्ञानवापी मामला लगातार सुर्खियों में रहा है. इसको लेकर करीब 100 सालों से अधिक समय से अदालती जंग भी चल रही है. यह मामला इसलिए विवादित रहा है क्योंकि  ज्ञानवापी मस्जिद के ही बगल में काशी विश्वनाथ मंदिर है. इतिहास है कि कई मुगल शासकों ने इस मंदिर का विध्वंस कराया था लेकिन अभी भी यह अपने स्थान पर है. मामले में हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद के 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है. हिंदू पक्ष के  दावे में कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर उसकी जमीन पर किया गया है जो कि अब ज्ञानवापी मस्जिद है. हिंदू पक्ष  ने मांग की थी कि ज्ञानवापी का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर यह पता लगाया जाए कि जमीन के अंदर मंदिर का अवशेष है या नहीं. साथ ही फर्श तोड़कर ये भी पता लगाया जाए कि 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ भी वहां है या नहीं. इसके अलावा मस्जिद की दीवारों की भी जांच करने की मांग की गई थी.

हिंदू पक्ष का कहना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों से ही ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई थी. इन्हीं दावों पर पर कोर्ट ने  आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) से सर्वे करवाया था. बीते बुधवार को एएसआई की यह सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई थी. सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का ढांचा मिला है. 

जानें ज्ञानवापी कानूनी विवाद की टाइमलाइन...

तकरीबन 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने काशी विश्वनाथ मंदिर बनवाया था. 

1664: औरंगजेब ने मंदिर को तुड़वा दिया.

1919: वाराणसी जिला कोर्ट में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से पहली याचिका दाखिल हुई थी.

1936: ज्ञानवापी मस्जिद बनाम मंदिर के मालिकाना हक का विवाद बढ़ा.

1942: हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी पर हक जताते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की.

1991: ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा सुर्खियों में आया. काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी केस में वाराणसी कोर्ट में पहला मुकदमा दाखिल हुआ. याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई.प्राचीन मूर्ति स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की ओर से सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय बतौर वादी इसमें शामिल रहे. मुकदमा दाखिल होने के कुछ महीने बाद सितंबर में केंद्र सरकार ने पूजा स्थल कानून बना दिया. 

1993:  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया.

2018: सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी मामले में स्टे ऑर्डर की वैधता केवल छह महीने के लिए ही होगी. उसके बाद ऑर्डर प्रभावी नहीं रहेगा.

2019: वाराणसी कोर्ट में फिर से इस मामले में सुनवाई शुरू हुई. अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने वाराणसी जिला अदालत में अपील की.

2021: वाराणसी कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को परिसर का सर्वे करने का आदेश दिया. छह मई को पहले दिन का ही सर्वे हो पाया था, लेकिन सात मई को मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया. मामला कोर्ट पहुंचा. बाद में सर्वे का काम पूरा हुआ.

- हिंदू पक्ष ने दावा किया कि कुएं से बाबा मिल गए हैं. इसके अलावा हिंदू स्थल होने के कई साक्ष्य मिले. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कहा कि सर्वे के दौरान कुछ नहीं मिला. हिंदू पक्ष ने इसके वैज्ञानिक सर्वे की मांग की. मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया.

2023: दिसंबर में न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुना और फैसला सुरक्षित रखा. इससे पहले जिला अदालत ने हिंदू पक्ष की मांग को मंजूरी देते हुए ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे का आदेश दे दिया था.

2024: वाराणसी की जिला अदालत ने हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद के व्यास तहखाने में पूजा करने का अधिकार दिया. जिला जज ने वादी पक्ष को भी सर्वे रिपोर्ट दिए जाने का आदेश दिया. सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर मिला. 

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