SARAL App : कमजोर बूथों को मजबूत करने के लिए भाजपा ने इस ऐप को लॉन्च किया है. इसके जरिए कमजोर बूथों पर लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत की नींव तैयार करने की रणनीति बनाई जा रही है.
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SARAL App : लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी यूपी में मिशन 80 में जुट गई है. ऐसे में नेता भी पीछे नहीं है. नेताजी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सरल ऐप पर प्रोफाइल जो बना रहे हैं. सरल ऐप से ही भाजपा प्रत्याशी का मूल्यांंकन कर रही है. कई विधायक-सांसद जो चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें सरल ऐप लोकसभा चुनाव से पहले झटका भी दे सकता है. तो आइये जानते हैं क्या है सरल ऐप, जिसे भाजपा चुनाव हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है.
पार्टी को चाहने वालों का विवरण तैयार करना
दरअसल, भाजपा भविष्य की रणनीति तय कर सके, इसके लिए अपने कार्यकर्ताओं को मजबूत बनाने में जुटी है. बूथ स्तर तक के कार्यकताओं की जानकारी हो सके, इसके लिए भाजपा ने 'सरल ऐप' लॉन्च किया. इसके पीछे का मकसद है कि 6 महीने के भीतर पार्टी के प्रति रुझान रखने वाले हर व्यक्ति का विवरण डिजिटल रूप में तैयार हो सके.
कमजोर बूथों को मजबूत करना उद्देश्य
जानकारी के मुताबिक, कमजोर बूथों को मजबूत करने के लिए भाजपा ने इस ऐप को लॉन्च किया है. इसके जरिए कमजोर बूथों पर लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत की नींव तैयार करने की रणनीति बनाई जा रही है. सरल ऐप पर कई प्वॉइंट पर बूथ के कमजोर होने का डाटा अपलोड किया जा रहा है. डाटा अपलोड कराने की जिम्मेदारी सांसद और विधायकों की है.
इसलिए चर्चा में आया सरल ऐप
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरल ऐप डाउनलोड ना करना भाजपा जिलाध्यक्षों को भारी पड़ सकता है. सूत्रों की माने तो भाजपा के एक दर्जन से अधिक संगठनात्मक जिलों में एक हजार कार्यकर्ताओं ने भी सरल ऐप डाउनलोड नहीं किया है. इसमें पश्चिमी यूपी, अवध क्षेत्र और पूर्वांचल के जिले सबसे आगे है.
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