Exclusive: क्या है धर्मांतरण का जहरीला कोड, जिसे यूट्यूब पर साइन लैंग्वेज में किए जाते थे अपलोड
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Exclusive: क्या है धर्मांतरण का जहरीला कोड, जिसे यूट्यूब पर साइन लैंग्वेज में किए जाते थे अपलोड

कानपुर में रहने वाले 24 साल के मूक छात्र आदित्य के परिवार ने उसके कथित तौर पर धर्म परिवर्तन करने के मामले में भी कोड की कई जानकारियां यूपी एटीएस को दी है.

फाइल फोटो

विशाल सिंह/ लखनऊ: धर्मांतरण केस में उत्तर प्रदेश एंटी टेरर स्क्वाड (ATS) ने अभी तक का सबसे बड़ा खुलासा किया है. यूपी एटीएस को धर्मांतरण से जुड़े कई कोड मिले हैं. यूपी एटीएस धर्मांतरण से जुड़े कोड को ब्रेक करने में जुटी हुई है. कानपुर में रहने वाले 24 साल के मूक छात्र आदित्य के परिवार ने उसके कथित तौर पर धर्म परिवर्तन करने के मामले में भी कोड की कई जानकारियां यूपी एटीएस को दी है.

क्या है धर्मांतरण का जहरीला कोड?
1-मूक बधिर बच्चो के लिए साइन लैंग्वेज में बने विडियो यूट्यूब पर अपलोड किये जाते थे और अगर कोई उस वीडियो को लाइक करता था तो उसको कोड वर्ड में उस वीडियो के चैट बॉक्स में 'अल्लाह के बंदे' उर्दू में लिखा जाता था. उसके बाद  कुछ अनजान लोग उस व्यक्ति से संपर्क करते थे जिसने वीडियो लाइक या सब्सक्राइब किया है. आदित्य की मां ने भी एटीएस को यही जानकारी दी थी कि आदित्य भी ऐसे ही इन लोगों के संपर्क में आया था.

2-धर्मान्तरण के लिए प्रक्रिया शुरू होते ही ये सख्त हिदायत दी गयी थी कि जो भी संपर्क के नंबर हैं उनका नाम न लिख कर उनको संख्या में लिखे. आदित्य भी जब इनलोगों के संपर्क में आया तो अप्रैल में लापता होने के पहले वह भी अपने साथियों से कोडवर्ड में बात करता था. साथियों के नंबर भी मोबाइल में संख्याओं जैसे 16, 17 से सेव होते थे.

3-धर्म परिवर्तन की जगह यह लोग 'रिवर्ट बैक टू इस्लाम प्रोग्राम' कोड वर्ड कहते थे. जिस टीचर के माध्यम से यह गिरोह नोएडा डेफ सोसायटी में पढ़ने वाले बच्चों को टारगेट कर रहा था. उसका काम ऐसे बच्चों को चिह्नित करना होता था, जिनका पहले आसानी से धर्म परिवर्तित किया जा सके और फिर मजहबी तौर पर कट्टर बनाया जा सके.

4-जांच में इस कोड का भी खुलासा हुआ है कि जब भी इन लोगों को पैसे आते थे तो इनको संदेश आता था 'रहमत' और ये संदेश उर्दू में होता था.

5-सबसे चौकानें वाला कोड जो एटीएस के हाथ मे लगा है वो शब्द है 'कौम का कलंक'. एटीएस जांच में कई बार इन शब्दों का प्रयोग संदेश में होना पाया गया है. लेकिन, अभी एटीएस इसे डिकोड नहीं कर पाई है कि ये कोड किसलिए प्रयोग किया जाता था.

6- 'मुतक्की' शब्द का प्रयोग छात्रों के लिए किया जाता था. यूपी एटीएस ने जब इस कोड को डिकोड किया तो उन्हें पता चला कि 'मुतक्की' वो शख्स होता है जो हक को और सच को तलाश करने वाला होता है. छात्रों को इस्लाम पढ़ाने से पहले इस तरह की भावना इसी कोड वर्ड से उनके मन मे भरी जाती थी.

7- 'सलात' शब्द का प्रयोग हर स्पीच या लिखकर छात्रों से या जो इस्लाम कबूलने की इच्छा रखता था उससे किया जाता था. ये शब्द वो व्यक्ति बार बार प्रयोग करता था जिसको इस्लाम मे धर्मांतरण कराने की जिम्मेदारी दी जाती थी. फोन पर भी बातचीत के दौरान जो इस धर्मांतरण से जुड़े लोग थे. वो लोगों को इस बात पर जोर देने के लिए कहते थे. 

यूपी एटीएस ने जब इस कोड को ब्रेक किया तो पता चला कि ये नमाज के लिए कहा जाने वाला शब्द है जिसे नमाज को नियमपूर्वक पढ़ना पुण्य तथा इस प्रथा का पालन ना करना या त्याग देना पाप होना बताया गया है. नमाज शब्द का प्रयोग ज्यादा होने से फंसने के डर से इस शब्द का प्रयोग किया जाता था.

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