राकेश टिकैत: मेरठ यूनिवर्सिटी से LLB, किसानों के लिए छोड़ी Delhi Police की नौकरी, 44 बार जा चुके हैं जेल
किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के दूसरे बेटे राकेश टिकैत के पास इस वक्त भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की कमान है और यह संगठन उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के साथ-साथ पूरे देश में फैला हुआ है.
नई दिल्ली: दिल्ली में किसानों का आंदोलन अब अलग-थलग पड़ता दिखाई दे रहा है. कुछ किसान संगठन ने इस आंदोलन से अपने को अलग कर लिया है. गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली के दौरान किसानों के उपद्रव के बाद उनकी अगुआई करने वाले किसान नेताओं के सुर भी अब बदले-बदले से हैं. ट्रैक्टर मार्च से पहले 'लाठी-डंडे साथ लाओ' वाला बयान देने वाले किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) एक बार फिर से चर्चा में हैं. राकेश बड़े किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष रहे स्वर्गीय महेंद्र सिंह टिकैत (Mahendra Singh Tikait) के दूसरे बेटे हैं. वह कभी दिल्ली पुलिस में थे, लेकिन किसानों की लड़ाई लड़ने के लिए सरकारी नौकरी छोड़ दी. दो बार लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं.
कौन हैं राकेश टिकैत?
राकेश टिकैत की पहचान ऐसे व्यवहारिक नेता की है जो धरना-प्रदर्शनों के साथ-साथ किसानों के व्यवहारिक हित की बात रखते रहे हैं. किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के दूसरे बेटे राकेश टिकैत के पास इस वक्त भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की कमान है और यह संगठन उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत के साथ-साथ पूरे देश में फैला हुआ है.
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मुजफ्फरनगर में जन्में, एमए की पढ़ाई की और दिल्ली पुलिस में नौकरी
राकेश टिकैत का जन्म मुजफ्फरनगर जनपद के सिसौली गांव में 4 जून 1969 को हुआ था. उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई की है. उसके बाद एलएलबी किया. टिकैत 1992 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर नौकरी करते थे, लेकिन 1993-1994 में दिल्ली के लाल किले पर स्वर्गीय महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था. चूंकि राकेश टिकैत इसी परिवार से आते थे, इसलिए सरकार ने आंदोलन खत्म कराने का उन पर दबाव बनाया. सरकार ने कहा कि वह अपने पिता और भाइयों को आंदोलन खत्म करने को कहें, जिसके बाद राकेश टिकैत पुलिस की नौकरी छोड़ किसानों के साथ खड़े हो गए थे.
किसानों की लड़ाई लड़ने के लिए छोड़ी सरकारी नौकरी
नौकरी छोड़ राकेश ने पूरी तरह से भारतीय किसान यूनियन के साथ किसानों की लड़ाई में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था. पिता महेंद्र सिंह टिकैत की कैंसर से मृत्यु के बाद राकेश टिकैत ने पूरी तरह भारतीय किसान यूनियन (BKU) की कमान संभाल ली.
बड़े भाई नरेश टिकैत यूनियन के अध्यक्ष, प्रभावी नेता राकेश
उनके पिता महेंद्र सिंह टिकैत बालियान खाप से आते थे. उनकी मृत्यु हुई के बाद उनके बड़े बेटे नरेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन का अध्यक्ष बनाया गया, क्योंकि खाप के नियमों के मुताबिक बड़ा बेटा ही मुखिया हो सकता है, लेकिन व्यवहारिक तौर पर भारतीय किसान यूनियन की कमान राकेश टिकैत के हाथ में है और सभी अहम फैसले राकेश टिकैत ही लेते हैं. राकेश टिकैत की संगठन क्षमता को देखते हुए उन्हें भारतीय किसान यूनियन का राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिया गया था. जबकि उनके बड़े भाई नरेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं.
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दादरी गांव की सुनीता देवी से शादी, एक बेटा दो बेटियों के पिता
राकेश टिकैत की शादी वर्ष 1985 में बागपत जनपद के दादरी गांव की सुनीता देवी से हुई थी. इनके एक पुत्र चरण सिंह दो पुत्री सीमा और ज्योति हैं. इनके सभी बच्चों की शादी हो चुकी है.
कैसे खड़ी हुई भारतीय किसान यूनियन
भारतीय किसान यूनियन की नींव 1987 में उस समय रखी गई थी. जब बिजली के दाम को लेकर किसानों ने शामली जनपद के करमुखेड़ी में महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन किया था. इसमें दो किसान जयपाल ओर अकबर पुलिस की गोली लगने से मारे गए थे. उसके बाद भारतीय किसान यूनियन बनाया गया थ, जिसके अध्यक्ष स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत बने थे. राकेश टिकैत से छोटे एवं तीसरे स्थान पर उनके भाई सुरेंद्र टिकैत मेरठ के एक शुगर मिल में मैनेजर के तौर पर कार्यरत हैं. वहीं, सबसे छोटे भाई नरेंद्र खेती का काम करते हैं. आलोक वर्मा आगे बताते हैं कि वर्ष 1985 में राकेश दिल्ली पुलिस में एसआई यानी कि सब इंस्पेक्टर के तौर पर भर्ती हुए थे.
दो बार लड़ा चुनाव, मिली हार
15 मई 2011 को लंबी बीमारी के चलते महेंद्र सिंह टिकैत के निधन के बाद बड़े बेटे चौधरी नरेश टिकैत को पगड़ी पहनाकर भारतीय किसान यूनियन का अध्यक्ष बनाकर कमान सौंप दी गई थी. राकेश टिकैत ने दो बार राजनीति में भी आने की कोशिश की है. पहली बार 2007 मे उन्होंने मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था. उसके बाद राकेश टिकैत ने 2014 में अमरोहा जनपद से राष्ट्रीय लोक दल पार्टी से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था. लेकिन दोनों ही चुनाव में हार मिली.
दिल्ली से ही शुरू की थी किसानों की हक की लड़ाई
राकेश टिकैत के पिता महेंद्र टिकैत द्वारा दिल्ली के लाल किले पर डंकल प्रस्ताव हेतु आंदोलन चलाया गया था, जिसमें सरकार द्वारा राकेश टिकैत के ऊपर दबाव डाला जा रहा था कि वह अपने पिता को समझाएं और आंदोलन को खत्म कराएं. सरकार द्वारा राकेश पर दबाव बनाने के कारण 1993 में उन्होंने पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया. उसके बाद से इन्होंने किसानों के लिए सक्रिय काम करते हुए अपने पिता के साथ काम करना शुरू किया और 1997 में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए गए.
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44 बार जेल, MP में सबसे ज्यादा 39 दिन रहे जेल में
किसानों की लड़ाई के चलते राकेश टिकैत 44 बार जेल जा चुके हैं. मध्यप्रदेश में एक समय किसान के भूमि अधिकरण कानून के खिलाफ उनको 39 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था. इसके बाद दिल्ली में संसद भवन के बाहर किसानों के गन्ना मूल्य बढ़ाने हेतु सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया, गन्ना जला दिया था, जिसकी वजह से उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया था. राजस्थान में भी किसानों के हित में बाजरे के मूल्य बढ़ाने के लिए सरकार से मांग की थी, सरकार द्वारा मांग न मानने पर टिकैत ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था. जिस वजह से उन्हें जयपुर जेल में जाना पड़ा था. वहीं, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह ने 2014 में अमरोहा से राकेश टिकैत को लोकसभा प्रत्याशी बनाया था.
दिल्ली पुलिस ने दर्ज किया मामला
भारतीय किसान यूनियन (BKU) नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) का जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें वह प्रदर्शनकारियों से परेड के दौरान लाठी डंडे लाने के लिए कहते दिख रहे हैं. दिल्ली पुलिस ने राकेश टिकैत के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली है. दिल्ली पुलिस ने हिंसा को लेकर IPC की धारा 395 (डकैती), 397 (लूट या डकैती, मारने या चोट पहुंचाने की कोशिश), 120 बी (आपराधिक साजिश) और अन्य धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है. मामले की जांच क्राइम ब्रांच द्वारा की जाएगी. दिल्ली पुलिस ने 200 लोगों को हिरासत में भी लिया है.
वीएम सिंह ने लगाए आरोप
राकेश टिकैत पर राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के वीएम सिंह (VM Singh All India Kisan Sangharsh Coordination Committee) ने गंभीर आरोप लगाए हैं. वीएम सिंह ने कहा है कि राकेश टिकैत सरकार के साथ मीटिंग में गए. उन्होंने यूपी के गन्ना किसानों की बात एक बार भी नहीं उठाई. उन्होंने धान की बात भी नहीं की. वीएम सिंह ने पूछा कि टिकैत ने आखिर किस चीज की बात की. हम केवल यहां से समर्थन देते रहें और वहां पर कोई नेता बनता रहे, ये हमारा काम नहीं है.
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