QnA: कहा जा रहा है कि आंदोलन सिर्फ पंजाब के किसानों का है? जानिए असल वजह
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QnA: कहा जा रहा है कि आंदोलन सिर्फ पंजाब के किसानों का है? जानिए असल वजह

किसानों के आंदोलन में सियासत ने भी एंट्री ले ली है. भारत बंद का समर्थन करते हुए देश की कईं विपक्षी पार्टियां किसानों की मांग पर सुर से सुर मिला रही हैं. सिंघू बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. 

QnA: कहा जा रहा है कि आंदोलन सिर्फ पंजाब के किसानों का है? जानिए असल वजह

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के रद करने के लिए किसानों के आंदोलन का सोमवार को 12 वां दिन है. 8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद का ऐलान किया है. 9 दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच छठे दौर की बातचीन होनी है. 5 दौर की बातचीत में अब तक बैठक बेनतीजा रही है. मसला इस बात पर अटक गया है कि किसान कृषि कानूनों के रद करने की मांग पर अड़े हुए हैं. सरकार के किसी भी फॉर्मूले पर बातचीत के जरिए आंदोलन खत्म करने के लिए प्रदर्शनकारी किसान संगठन तैयार नहीं हैं. 

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क्या पंजाब और हरियाणा के किसानों का आंदोलन है?
किसानों के आंदोलन में सियासत ने भी एंट्री ले ली है. भारत बंद का समर्थन करते हुए देश की कईं विपक्षी पार्टियां किसानों की मांग पर सुर से सुर मिला रही हैं. सिंघू बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. इन किसानों में ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आए किसान हैं. सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की भी है कि केंद्र सरकार के नए कृषि कानून की मुखालफत करने वाले ज्यादातर किसान इन्हीं 3 तीन राज्यों से क्यों हैं? आखिरकार क्यों दक्षिण, पूरब और पश्चिमी भारत के राज्यों के किसानों की मौजूदगी इस आंदोलन में न के बराबर है.

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कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर क्यों अड़े हैं प्रदर्शनकारी किसान?
डर और चिंता सबसे ज्यादा 2 मुद्दों को लेकर है. किसान कह रहे हैं  MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस बंद हो जाएगा. आंदोलन कर रहे किसान ये सवाल भी सामने रखते हुए विरोध कर रहे हैं कि APMC यानी एग्रीकल्चर प्रोड्यूसर मार्केट कमेटी खत्म तो नहीं हो जाएगी? हर राज्य में MSP और APMC को लेकर स्थिति अलग-अलग है. 

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कृषि मंत्री ने साफ किया रुख
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अब तक हुई बैठक में ये कह भी चुके हैं कि यह एक्ट राज्य का है और APMC मंडी को किसी भी तरह से प्रभावित करने का सरकार का कोई इरादा नहीं है. सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जारी रखने की लिखित गारंटी देने की बात भी कह रही है. इन दोनों प्रमुख मुद्दों पर सरकार की ओर से दिए हर बयान को आंदोलनरत किसान सिरे से खारिज कर रहे हैं. वो लिखित अध्यादेश मांग रहे हैं.

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APMC पर क्या है पंजाब, हरियाणा और UP में स्थिति?
APMC के आंकड़ों पर नजर डालें तो  केंद्र सरकार की तरफ से पहले से तय हुए दाम में खरीदारी का राष्ट्रीय औसत 10 फीसद से कम है. यह राष्ट्रीय औसत पंजाब के आंकड़ों के लिहाज से बहुत कम है. वहीं पंजाब में खरीदारी का ये 90 प्रतिशत से अधिक है. हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जमीन भी और राज्यों के मुकाबले ज्यादा उपजाऊ है. ऐसी स्थिति में इन 3 राज्यों में उगने वाले अनाज को राज्य सरकारें APMC की मंडियों में MSP देकर किसानों से खरीद लेती है. देश में करीबन 6,000 एपीएमसी हैं. इनमें से अकेले 33 फीसदी सिर्फ पंजाब में ही है. 

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इस बात का डर है किसानों को
नए कृषि कानून के मुताबिक पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तीनों ही राज्यों में कोई भी किसान खुला मंडी में अपने राज्य में या फिर किसी और राज्य में बेच सकता है. पंजाब और हरियाणा के किसानों के अब डर सता रहा है कि एपीएमसी के सिस्टम से बाहर जा कर  बेचने पर प्राइवेट व्यापारियों के हाथों उनका  शोषण हो सकता है.यहीं वजह है कि इन 3 राज्यों के किसान APMC को हटाने के विरोध में आक्रमक और उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं.

कृषि कानून के किन बातों पर है टकराव

किसानों का डर सरकार का जवाब
किसानों को लगता है कि MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस बंद तो नहीं हो जाएगी?  सरकार का जवाब है कि MSP चल रही थी, चल रही है और आने वाले वक्त में भी चलती रहेगी.
किसानों को डर है कि APMC यानी एग्रीकल्चर प्रोड्यूसर मार्केट कमेटी खत्म तो नहीं हो जाएगी?  प्राइवेट मंडियां आएंगी, लेकिन हम APMC को भी मजबूत बनाएंगे.
मंडी के बाहर ट्रेड के लिए PAN कार्ड तो कोई भी जुटा लेगा और उस पर टैक्स भी नहीं लगेगा. सरकार का वादा- ट्रेडर के रजिस्ट्रेशन को जरूरी करेंगे.
मंडी के बाहर ट्रेड पर कोई टैक्स नहीं लगेगा? APMC मंडियों और प्राइवेट मंडियों में टैक्स एक जैसा बनाने पर विचार करेंगे.
विवाद SDM की कोर्ट में न जाए, वह छोटी अदालत है. सरकर का कहना है कि ऊपरी अदालत में जाने का हक देने पर विचार करेंगे.
नए कानूनों से छोटे किसानों की जमीन बड़े लोग हथिया लेंगे? किसानों की सुरक्षा पूरी है. फिर भी शंकाएं हैं तो समाधान के लिए तैयार हैं.
इस कानून सिर्फ होल्डर्स और बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा? केंद्र ने कहा कि पुरानी प्रणाली चलती रहेगी और किसानों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है.
एमएसपी और कन्वेंशनल फूड ग्रेन ​खरीद सिस्टम खत्म नहीं इस पर लिखित आश्वासन मांग रहे किसान. सरकार का कहना है कि इस पर विचार-विमर्श के बाद ही निर्णय हो पाएगा.
कुछ दूसरे किसान नए क़ानूनों में बदलाव के बजाय इन्हें वापस लेने की मांग कर रहे हैं. हालांकि इस पर सरकार ने अपना रुख साफ नहीं किया है, लेकिन कृषि मंत्री की बातों ऐसा बिलकुल नहीं लगा कि कानून वापस होंगे.

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