Gonda News : गोंडा में देश ही नहीं बल्कि विश्व की सबसे ऊंची शिवलिंग स्थापित है. यह शिवलिंग करीब 6000 साल पुरानी है. इसको अज्ञातवास के दौरान पांडवों द्वारा बकासुर नाम के राक्षस का वध करके मोक्ष पाने के लिए स्‍थापित की थी. पांडवों द्वारा स्थापित इस ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिर का नाम पांडवों द्वारा भीमेश्वर महादेव मंदिर रखा गया था, लेकिन अब यह ऐतिहासिक मंदिर धीरे-धीरे जर्जर हो गई थी. पांडवों द्वारा स्थापित इस शिवलिंग जमीन में धंस रही है. 


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ऐसे हुई थी मंदिर की खोज 
इसी जमीन पर पृथ्वीराज सिंह नाम के एक युवक द्वारा अपने गौशाला निर्माण के लिए ईंट निकलवाई जा रही थी, तभी यहां पर यह विशाल शिवलिंग मिला था. विशाल शिवलिंग मिलने के बाद इस मंदिर का निर्माण कराकर पूजा अर्चना करके इस मंदिर का नाम भीमेश्वर महादेव मंदिर की जगह पृथ्वीनाथ मंदिर रख दिया गया. तब से अब तक यहां पर लगातार लोग पूजा अर्चना के लिए आते हैं. सावन और महाशिवरात्रि पर यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. गोंडा ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश नेपाल से भी हजारों श्रद्धालु सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ का दर्शन करने के लिए आते हैं. 


हर मनोकामना पूरी होती है 
मंदिर की मान्यता है कि जो भी भगवान भोले का भक्त सच्चे मन से कुछ मांगता है तो उसकी मनोकामना पूरी होती है. इस विशाल शिवलिंग की कुल लंबाई 54 फीट है. 7 अरघे हैं. इन्हीं 7 अरघों पर पृथ्वी नाथ मंदिर बनी हुई है, जो पहला अरघा काली कसौटी दुर्लभ पत्थर का बना हुआ दिखाई देता है. इसी अरघे पर लोग जलाभिषेक करते हैं. साथ ही 6 अरघे अभी भी जमीन के नीचे हैं. अभी ये विशाल शिवलिंग 49 फीट नीचे है, जो दिखाई नहीं देती. वहीं,  सिर्फ 5.15 फीट ऊपरी शिवलिंग दिखाई देती है. 


बिना ऐड़ी उठाए जल नहीं चढ़ा सकते 
इस शिवलिंग की खासियत है कि बिना ऐड़ी उठाए हुए कोई भी व्यक्ति भगवान शिव के शिवलिंग पर सीधे जलाभिषेक नहीं कर सकता है. तत्कालीन सपा सरकार में पूर्व कृषि मंत्री रहे कुंवर आनंद सिंह ने पुरातत्व विभाग को पत्र लिखकर इसकी जांच करवाई थी. तब जाकर ये सच्चाई सामने आई थी. पुरातत्‍व विभाग ने भी माना कि यह विशाल शिवलिंग कसौटी के पत्थर पर बना हुआ है जिससे सोना तराशा जाता है. 


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