Uttarkashi Tunnel Rescue Update: आज रात पूरा नहीं हो पाएगा रेस्क्यू ऑपरेशन, इस वजह से अभियान में आई रुकावट
Uttarkashi Tunnel Rescue News: उत्तरकाशी में चल रहे 41 मजदूरों की रेस्क्यू ऑपरेशन अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है. आज किसी भी समय मजदूरों को टनल के बाहर निकाला जा सकता है.
Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल से इस वक्त का सबसे बड़ा अपडेट ये है कि अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने में कुछ वक्त और लग सकता है क्योंकि रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी टीम को बीती रात भी ड्रिलिंग के दौरान कई परेशानियों का सामना करना पड़ा है. जिसके चलते ऑपरेशन कल रात में ड्रिलिंग नहीं हो सकी. जो खबर आ रही है उसके मुताबिक ड्रिलिंग के दौरान अमेरिकन ऑगर मशीन के प्लेटफॉर्म में कुछ तकनीकी गड़बड़ी आई थी, जिसे अब पूरी तरह से दुरुस्त कर लिया गया है.
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आज रात पूरा नहीं हो पाएगा रेस्क्यू ऑपरेशन
ऑगर मशीन एक बार फिर रुकने के बाद अब manual ड्रिलिंग के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एक हाई लेवल मीटिंग में ये तय किया गया है कि अगर फिर से ऑगर मशीन में फिर से खराबी आती है तो आधुनिक इक्विपमेंट के जरिये manual ड्रिलिंग की भी मदद ली जा सकती है. आज रात रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने की उम्मीद नहीं है.
फिर से रुक गया काम
उत्तरकाशी की सुरंग में ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू किया गया था लेकिन एक बार फिर से काम रुक गया है. एक्सपर्टों के मुताबिक ड्रिलिंग के काम में कोई रुकावट महसूस की गई है.
उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे के 13वें दिन शुक्रवार को सबसे बड़ी अपडेट सामने आई है. रेस्क्यू ऑपरेशन में जुड़ी टीमों को उम्मीद है कि अगले कुछ घंटों में सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सकता है. अभी तक 46 मीटर तक ड्रिलिंग करके पाइप डाल दिए गए हैं. लेकिन, गुरुवार से रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतें आ रही हैं.
12 मीटर का हिस्सा काफी अहम
केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय के अपर सचिव महमूद अहमद के मुताबिक अगले दो घंटे में सुरंग के भीतर बचे हुए दो पाइप डाल दिए जाएंगे. ऑगर मशीन भी सही कर दिया गया है. उम्मीद है कि अगर सबकुछ सही तरीके से चला तो जल्द ही रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी सफलता मिल सकती है.
अगर टनल हादसे की बात करें तो 13 दिनों से लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. करीब 48 मीटर हिस्से में पाइप अंदर जा चुके हैं, आगे के 12 मीटर का हिस्सा काफी अहम है. उन्होंने बताया कि गुरुवार को ऑगर मशीन आगे नहीं बढ़ पा रही थी. इसका कारण मशीन के रास्ते में लोहे की रॉड आना बताया गया. इस दौरान मशीन खराब भी हो गई थी.
रेस्क्यू ऑपरेशन अंतिम चरण में
दिल्ली से आई एक्सपर्ट की टीम ने मशीन सही किया. दोबारा ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू हुई तो मशीन का प्लेटफॉर्म ढह गया था. जिस कारण गुरुवार को रातभर ड्रीलिंग नहीं हो सकी. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन अंतिम चरण में है. पीएम मोदी लगातार मजदूरों के बारे में पूरी जानकारी ले रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार की सभी एजेंसियां मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी है. उम्मीद है कि जल्द ही यह ऑपरेशन पूरा होगा. सभी मजदूर बाहर आ जाएंगे.
एनडीआरएफ ने किया ट्रायल
बड़ी बात यह है कि मजदूरों को बाहर निकालने के लिए एनडीआरएफ ने ट्रायल भी किया है. इस दौरान पहिए लगे स्ट्रेचर की टेस्टिंग भी की गई है.
बता दें कि 12 नवंबर को दीपावली की सुबह से चारधाम रोड परियोजना के काम में लगे 41 श्रमिक मलबा आने के कारण सुरंग में फंसे हैं. इनको सकुशल बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है.
'पाइप की हो रही पुशिंग'
नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के मेंबर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैयद अता हसनैन ने कहा, 'सरकार ने कोई कसर नही छोड़ी है. 6-6 मीटर के जो पाइप थे, वो एक जगह से बैंड हो गया. उसके चलते ऑगर को वापिस बुलाना पड़ा. रात भर इसी में चला गया. सीमेंट के साथ उसको फिक्स किया गया नट बोल्ट लगाने पड़े और माउंट किया गया. अभी पाइप की आगे पुशिंग हो रही है. हमें आशा है कि थोड़ी देर के बाद सब ठीक रहा तो ऑगर का काम शुरु हो जाएगा.'
'ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल'
सैयद अता हसनैन ने कहा, 'दो घंटे के बाद थोड़ा वक्त लगेगा. इसमें अच्छी बात ये है कि वहां एक ग्राउंड Penitrating रडार का उपयोग किया गया है. वो 5 मीटर अंदर तक देख सकता है. अगले 5 मीटर तक कोई अड़चन ही है. ये बहुत टेक्निकल चीज है. ब्रेंकिग न्यूज देकर गलतफहमियां पैदा होती है कि बस निकासी होने ही वाली हैं. सरकार की हर एजेंसी इसमें लगी हुई है. राज्य सरकारें भी इसमें लगी हुई है. ओडिशा, यूपी गुजरात से मशीनें आ रही हैं. ग्रीन कारिडोर के जरिए श्रमिको की सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं. उनकी रिश्तेदारों से बात भी कराई गई है.'
पीएम मोदी कर सकते हैं मजदूरों से बातचीत
उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे मजदूरों का 13 दिन बाद भी अब तक रेस्क्यू नहीं हो सका है. उन्हें बाहर निकालने के लिए सभी एजेंसियां जोर-शोर से लगी हुई हैं. इसी बीच अंदर फंसे मजदूरों का मोरल ऊंचा करने के लिए पीएम मोदी उनसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत कर सकते हैं. इसके लिए चिन्यालीसौड़ अस्पताल में वीडियो कांफ्रेंसिंग के इंतजाम किए जा रहे हैं.
- मजदूरों को सुंरग से निकालने से पहले NDRF ने डेमो किया है. कैसे मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा, इसका अभ्यास एनडीआरएफ ने किया है. इसका वीडियो भी रिलीज किया गया है. सीएम धामी का कहना है कि रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. जल्द ही सभी मजदूर सुरक्षित बाहर निकलेंगे.
- पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि अगले 5 मीटर तक कोई मैटेलिक मैटेरियल नहीं है. सुबह 11 बजे से ड्रिलिंग का काम फिर शुरू होने जा रहा है. तकरीबन 60 मीटर तक ड्रिलिंग होनी है. आज शाम तक रेस्क्यू ऑपरेशन में ब्रेक थ्रू मिल सकता है.
- ऑगर मशीन के प्लेटफार्म को स्टैब्लाइज कर लिया गया है. जल्द ड्रिलिंग का काम शुरू किया जाएगा. DRDO के रोबोटिक इक्विपमेंट के जरिए बचे हुए मलबे की डेंसिटी की स्टडी की जाएगी.
- उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए जारी रेस्क्यू ऑपरेशन अब अपने आखिरी पड़ाव है. उम्मीद की जा रही है आज सभी मजदूर सही सलामत बाहर आ जाएंगे.
- टनल के बाहर डॉक्टरों का पैनल तैयार है. 41 मजदूरों के बाहर निकलने के फौरन बाद वे इमरजेंसी अस्पताल में एडमिट किए जाएंगे. एयरलिफ्ट करने की भी पूरी तैयारी है. मजदूरों को निकालते वक्त पाइप यदि टूटा तो पहियेदार स्ट्रेचर से बाहर NDRF निकालेगी. बैकअपल प्लान भी तैयार है.
- इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक की नजर है. आज रेस्क्यू ऑपरेशन का 13वां दिन है. और टनल में अभी तक 46.8 मीटर की ड्रिलिंग हो चुकी है. उम्मीद की जा रही है कि कल सुबह या दोपहर तक टनल से रेस्क्यू को लेकर कोई बड़ी खबर आ सकती है.
- टनल में फंसे मजदूरों के लिए सबसे बड़ी उम्मीद की किरण 900 मिलीमीटर की पाइप हैं. ये वो पाइप है जो मजदूरों को आज एक नई सुबह देगी. इसी पाइप के जरिए मजदूर 13वें दिन सूरज की पहली किरण देखेंगे और इसमें सबसे बड़ी भूमिका अमेरिका की ऑगर मशीन निभा रही है.
- इसी ऑगर मशीन ने चट्टानों का सीना चीरते हुए मजदूरों के लिए नई जीवन रेखा खींची. सरकार के अथक प्रयास और मजदूरों के बुलंद हौसले ने ये बता दिया कि आपदा और चट्टान कोई बाधा नहीं बन सकती है.
- उत्तरकाशी के टनल में पिछले 13 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. लेकिन ड्रिलिंग मशीन में बार-बार आ रही खराबी की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन को कई बार रोकना पड़ा.
- टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए ड्रोन्स की भी मदद ली जा रही है. ड्रोन एक्सपर्ट की एक टीम मौके पर पहुंच गई है. इस टीम में माइनिंग इंजीनियर, ड्रोन पायलट और जियोटेक्निकल एक्सपर्ट भी हैं. कंपनी के अफसर आसिफ मुल्ला ने जानकारी दी है कि उनकी टीम ने सुरंग के अंदर रडार सेंसर, जियोफिजिकल सेंसर लगे ड्रोन की मदद से मलबे के भीतर की अड़चनों की जानकारी रेस्क्यू टीम को दी है. ये ऐसे ड्रोन हैं जो कहीं भी मलबे के भीतर की पूरी स्कैनिंग कर सकते हैं.