नई दिल्ली: ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से नाता तोड़कर बीजेपी का दामन थाम चुके हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंधिया गुरुवार को जब भोपाल पहुंचे तो बीजेपी कार्यकर्ताओं ने दिल खोलकर उनका स्वागत किया. एयरपोर्ट पर सिंधिया की आगवानी के लिए विधायक यशोधरा सिंधिया, प्रदेश अध्यक्ष व्ही डी शर्मा, नरोत्तम मिश्रा और भूपेंद्र सिंह पहुंचे. इसके बाद, सिंधिया ने देर शाम बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया जिसमें उन्होंने कहा कि वह केवल दिल लेकर बीजेपी में आए हैं. सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने पर उनके बहनोई व कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह ने भी प्रतिक्रिया दी है. गौरतलब है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ कर्ण सिंह के बड़े बेटे विक्रमादित्य सिंह ज्योतिरादित्य सिंधिया की बड़ी बहन चित्रांगदा सिंधिया के पति हैं. विक्रमादित्य जम्मू-कश्मीर के डोगरा शाही परिवार से ताल्लुक रखते हैं.  विक्रमादित्य सिंह, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंन्द्र सिंह के भी रिश्तेदार हैं 


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विक्रमादित्य ने सिंधिया के इस्तीफे पर कांग्रेस की तीखी आलोचना की. उन्होंने इशारों- इशारों में पार्टी को एक चेतावनी देते हुए कहा कि कांग्रेस को ज्योतिरादित्य सिंधिया के जाने की कीमत चुकानी पड़ेगी. उन्होंने ज्योतिरादित्य की पार्टी के अंदर लगातार उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया. 
 विक्रमादित्य सिंह ने अपने एक ट्वीट में लिखा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी के ही कुछ लोगों ने उपेक्षा करने की कोशिश की. इसका खामियाजा पार्टी को ही उठाना पड़ा. पार्टी के लिए यह बहुत बड़ा झटका है. इसका असर जमीनी स्तर पर महसूस किया जाएगा."


 



अपने एक अन्य ट्वीट में विक्रमादित्य ने कहा, "कांग्रेस पार्टी ने अपना एक कद्दावर युवा नेता खो दिया है. यह दुखद है कि सिंधिया जैसे एक समर्पित और प्रभावी नेता द्वारा दिए गए अत्याधिक योगदान के लिए उन्हें पुरस्कृत करने की बजाय नजरअंदाज किया गया. पार्टी को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी." 



तो क्या विक्रमादित्य भी कांग्रेस छोड़ेंगे
ज्योतिरादित्य के कांग्रेस छोड़ने पर उनके बहनोई विक्रमादित्य सिंह ने जिस तीखे अंदाज में ट्वीट किए गए हैं, उससे कई तरह की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. सूत्रों के मुताबिक, विक्रमादित्य भी आने वाले दिनों में कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. विक्रमादित्य ने 2015 में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. बाद में वे पीडीपी की तरफ से विधान परिषद के सदस्य भी बने. लेकिन 2017 में उन्होंने पीडीपी और विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देकर कांग्रेस ज्वॉइन कर ली. विक्रमादित्य सिंह ने 2019 में कांग्रेस से उधमपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह से वह चुनाव हार गए थे.