नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर दिल्ली में किसानों द्वारा की गई हिंसा (Violence in Farmers Protest) के बाद किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) कमजोर पड़ गया है. एक तरफ देशभर में किसानों के खिलाफ गुस्सा है तो वहीं दूसरी तरफ किसान संगठनों में भी फूट पड़ती नजर आ रही है. दो किसान संगठनों ने खुदको इस आंदोलन से अलग कर लिया है. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएम सिंह (VM Singh) ने कहा कि वो इस आंदोलन से खुद को अलग कर रहे हैं. इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन (भानू गुट) ने भी किसना आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया है. 


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वीएम सिंह ने कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी दिल्ली में जो हुआ इन सब में सरकार की भी गलती है जब कोई 11 बजे की जगह 8 बजे निकल रहा है तो सरकार क्या कर रही थी? जब सरकार को पता था कि लाल किले पर झंडा फहराने वाले को कुछ संगठनों ने करोड़ों रुपये देने की बात की थी तब सरकार कहां थी? 


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गाजीपुर बॉर्डर पर वीएम सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ कृषि कानूनों के विरोध को आगे नहीं बढ़ा सकते जिसकी दिशा कुछ और हो. इसलिए, मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं. उन्होंने कहा कि मैं और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति इस विरोध को तुरंत वापस ले रही है. 



वीएम सिंह ने कहा कि हिन्दुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी है. उस मर्यादा को अगर भंग किया है, भंग करने वाले गलत हैं और जिन्होंने भंग करने दिया वो भी गलत हैं. ITO में एक साथी शहीद भी हो गया. उन्होंने कहा कि जो शख्स किसानों को लाल किले तक लेकर गया या जिसने किसानों को उकसाया उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई होनी चाहिए.