Wayanad Landslide Story: केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड से अब तक 153 लोगों की मौत हो चुकी है और 1000 से ज्यादा लोग बचाए गए हैं, लेकिन कई लोग अभी भी लापता हैं. हादसे में एक साथ कई परिवार खत्म हो गए और उनके परिवार का एक भी सदस्य नहीं बचा. लेकिन, एक फैमिली ऐसी भी है, जो हादसे से ठीक पहले अपना घर छोड़कर चली गई और उनकी जान बच गई. शकीरा नाम की महिला के डर के वजह से उसका पूरा परिवार बच गया है. बता दें कि सोमवार और मंगलवार की दरम्यानी रात तीन भूस्खलनों ने वायनाड के चूरालमाला, मुंदक्कई, अट्टामाला और नूलपुझा इलाके में भारी तबाही मचाई है. ये भूस्खलन तब हुआ जब लोग घर में सो रहे थे. इस वजह से लोग समझ ही नहीं पाए और उनकी जान चली गई.


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शकीरा के डर ने बचाई पूरे परिवार की जान


केरल के वायनाड जिले में मंगलवा को मेप्पडी के पास भारी बारिश के बाद भूस्खलन हुआ. इससे पहले सोमवार रात से ही मूसलाधार बारिश हो रही थी. तेज बारिश की वजह से मुंदक्कई में रहने वाली शरीका नाम की महिला के मन में डर पैदा हुआ और उसे कुछ अहसास हुआ. इसके बाद उसने अपने पति को अपनी घबराहट की बात बताई और मुंदक्कई छोड़कर मेप्पडी स्थित अपने घर जाने के लिए कहा. शुरू में तो शकीरा के पति मोहम्मद अलीस ने मना किया, लेकिन बाद में वो मान गए. इसके बाद शकीरा अपने पति अलीस, बच्चों और ससुराल वालों के साथ मुंदक्कई छोड़कर मेप्पाडी चली गई.


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पड़ोसी-रिश्तेदार बहे, घर भी बह गया


शकीरा और उसके परिवार के मुंदक्कई छोड़ने के कुछ घंटे बाद ही इस इलाके में त्रासदी आ गई और उनके पड़ोसियों के अलावा करीबी रिश्तेदार भी इस त्रासदी में बह गए. यहां, तक कि उनका घर भी भूस्खलन में पूरी तरह तबाह हो गया. लेकिन, शकीरा के डर ने उनकी और उनके पूरे परिवार की जान बचा ली.


बह गए पड़ोसियों के घर


शकीरा के पति अलीस ने एक प्राइवेट अस्पताल में घायलों को देखते हुए बताया, 'पिछले दो दिनों से हमारे इलाके में भारी बारिश हो रही है. सोमवार रात को जब बारिश हुई तो मेरी पत्नी डर गई. हालांकि, हमने उसे बताया कि चिंता की कोई बात नहीं है, लेकिन उसने मेप्पाडी जाने पर जोर दिया. हमने आखिरकार उसकी बात मान ली और उसके घर के लिए निकल पड़े. कुछ घंटों बाद ही इलाके में भूस्खलन हुआ. अब केवल मेरा घर ही बचा है, जो मलबे और कीचड़ भरे पानी से भर गया है. पड़ोस के एसएस रोड के बाकी घर बह गए हैं.


अभी भी लापता हैं करीबी रिश्तेदार


अलीस को संदेह है कि भूस्खलन की शुरुआत मुंदक्कई शहर से करीब एक किलोमीटर ऊपर वेल्लादीपारा में हुई होगी. उन्होंने कहा कि उनके इलाके के स्थानीय निवासियों को उम्मीद नहीं थी कि यह त्रासदी उन पर आएगी, क्योंकि वे इतने सालों से प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रहे हैं. मुंदक्कई सरकारी स्कूल के पेरेंट्स टीचर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मोहम्मद अलीस ने कहा, 'मेप्पाडी के लिए निकलते समय हमने इलाके के कुछ लोगों से सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा, लेकिन वे हिचकिचाए और वहीं रुक गए. मेरे पिता के भाई और उनका परिवार लापता हैं.'


अब रहने लायक नहीं रहा इलाका


अलीस का कहना है कि यह इलाका अब रहने लायक नहीं रहा. यहां आबादी का घनत्व बहुत ज्यादा था. हालांकि, किस्मत ने बहुतों का साथ दिया, हमें नहीं पता कि कितने लोगों की जान गई और कितने लापता हैं. मैंने अपने घर के लिए गेट बनवाने में 80 हजार रुपये खर्च किए थे. हमने अपने सारे संसाधन वहां लगा दिए, लेकिन अब यह इलाका रहने लायक नहीं रहा. हम अब वहां नहीं रहना चाहते.