MHA amends Kashmir Reorganisation Act: केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल की ताकत में इजाफा कर दिया है. गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को संशोधित करके ऐसा किया गया है. अब जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा (L-G Manoj Sinha) के पास पुलिस और भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) एवं भारतीय पुलिस सेवा (IPS) जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों से संबंधित निर्णय लेने तथा विभिन्न मामलों में अभियोजन की मंजूरी देने की शक्तियां बढ़ गई हैं. 


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फैसले से भड़के उमर अब्दुल्लाह


इस फैसले से नाराज उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- 'केंद्र सरकार का यह फैसला एक और संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव नजदीक हैं. यही कारण है कि ये लोग L-G की शक्तियां और अधिकार क्षेत्र बढ़ा रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण, अविभाजित राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समयसीमा निर्धारित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता इन चुनावों के लिए एक शर्त है. जम्मू-कश्मीर के लोग एक शक्तिहीन, रबर स्टांप मुख्यमंत्री से कहीं बेहतर क्षमता वाला मुख्यमंत्री चाहते हैं. अब लोगों को अपने चपरासी की नियुक्ति के लिए LG से भीख मांगनी पड़ेगी.'



जम्मू-कश्मीर के LG अब और ताकतवर


उपराज्यपाल भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो से संबंधित मामलों के अलावा महाधिवक्ता और अन्य कानून अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में भी निर्णय ले सकते हैं. जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस लेकर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किये जाने के बाद लागू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत जारी नियमों में संशोधन कर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को उपराज्यपाल को ये शक्तियां दीं.


गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना के अनुसार, "पुलिस, लोक व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवा और भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो के संबंध में वित्त विभाग की पूर्व सहमति की आवश्यकता वाले किसी भी प्रस्ताव को तब तक स्वीकार या अस्वीकार नहीं किया जाएगा, जब तक कि इसे मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष नहीं रखा जाता है."


अधिसूचना में कहा गया है, "विधि, न्याय और संसदीय कार्य विभाग, न्यायालय की कार्यवाही में महाधिवक्ता की सहायता के लिए महाधिवक्ता और अन्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति के प्रस्ताव को मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के माध्यम से उपराज्यपाल के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करेगा."


अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि अभियोजन मंजूरी प्रदान करने या अपील दायर करने के संबंध में कोई भी प्रस्ताव विधि, न्याय और संसदीय कार्य विभाग द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष रखा जाएगा.


मंत्रालय ने कहा, "इसके साथ ही यह प्रावधान भी किया गया है कि कारागार, अभियोजन निदेशालय और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला से संबंधित मामले मुख्य सचिव के माध्यम से गृह विभाग के प्रशासनिक सचिव द्वारा उपराज्यपाल को प्रस्तुत किए जाएंगे."


मंत्रालय ने यह भी कहा कि प्रशासनिक सचिवों का पदस्थापन और स्थानांतरण तथा अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के पदों से संबंधित मामलों के संबंध में प्रस्ताव मुख्य सचिव के माध्यम से सामान्य प्रशासन विभाग के प्रशासनिक सचिव द्वारा उपराज्यपाल को प्रस्तुत किए जाएंगे.


(इनपुट: PTI)