Benami Law: बेनामी कानून को लेकर अक्सर चर्चाएं सुनने को मिलती है. हालांकि लोगों को बेनामी कानून के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. लेकिन आज हम आपको बेनामी कानून के बारे में जानकारी देने वाले हैं और बताने वाले हैं कैसे देश के लिए बेनामी कानून करप्शन को खत्म करने में कारगर साबित हो सकता है. बेनामी संपत्ति की खरीद-बिक्री कर अक्सर लोग करप्शन को बढ़ावा देते हैं. इसको लेकर एडवोकेट राज कुमार नाहटा ने विस्तार से बताया है.


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बेनामी संपत्ति
JMRK Legal Associates के संस्थापक एडवोकेट राज कुमार नाहटा के मुताबिक बेनामी संपत्ति की खरीद में शामिल लेनदेन को बेनामी लेनदेन कहा जाता है. बेनामी लेनदेन के माध्यम से लोग विभिन्न प्रकार की संपत्तियां खरीदते हैं, जिनमें चल, अचल, मूर्त, अमूर्त, कोई अधिकार या हित या कानूनी दस्तावेज शामिल हैं. जिस व्यक्ति के नाम पर संपत्ति खरीदी जाती है उसे 'बेनामदार' कहा जाता है.


बेनामी कानून
बेनामी के तहत यह एक व्यक्ति के जरिए खरीदी गई संपत्ति होती है जो कि उसके नाम पर नहीं होती है बल्कि यह पति या पत्नी या बच्चे या सिर्फ किसी और के नाम पर खरीदी जाती है, जिसके लिए आय के ज्ञात स्रोतों से राशि का भुगतान किया जाता है. भारत में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां लोगों के पास उनके नौकरों के नाम पर लाखों करोड़ों की बेनामी संपत्ति भी पाई गई.


करप्शन
राज कुमार नाहटा का कहना है कि ज्यादातर मामलों में, लोग अपने काले धन का उपयोग करने या टैक्स से बचने, या दोनों के लिए बेनामी संपत्ति खरीदते हैं. कुछ मामलों में, फर्जी नामों और पहचान के कारण बेनामी संपत्ति के असली मालिक (या खरीदार) के बारे में पता लगाना जांच एजेंसियों के लिए मुश्किल हो जाता है. करप्शन खत्म करने और बेनामी कानून को डिटेल में पहचानने के लिए एक किताब भी रिलीज हुई है.


Guide on Benami Law
वहीं अब बेनामी कानून पर एक किताब लॉन्च की गई है. यह किताब राज कुमार नाहटा के जरिए लिखी गई है. इसका नाम Comprehensive Guide on Benami Law है. राज कुमार नाहटा ने बताया कि इस किताब को लिखना उनके जीवन का सबसे शानदार अनुभवों में से एक रहा है. उन्होंने किताब को "एक गेम चेंजर-फिलिंग द गैप इन द मार्केट" कहा है.


बेनामी कानून पर किताब
Comprehensive Guide on Benami Law के बारे में बताते हुए राज कुमार नाहटा ने बताया है कि यह प्रकाशन बेनामी कानून और भारत में इसके न्यायशास्त्र के आसपास की जटिलताओं पर एक व्यापक गाइड है, जो बेनामी लेनदेन से संबंधित प्रत्येक पहलू का गहन विश्लेषणात्मक और महत्वपूर्ण विश्लेषण प्रदान करता है. इस किताब के जरिए बेनामी कानून की उत्पत्ति, इतिहास और विकास का पता लगाया जा सकता है. साथ ही इसमें प्रिवी काउंसिल और विभिन्न अन्य न्यायालयों के निर्णयों से उकेरे गए दोनों पक्षों के विचारों को शामिल करके एक निष्पक्ष तस्वीर पेश की गई है.


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