Enemy property Noida Greater Noida: केंद्रीय गृह मंत्रालय के दफ्तर ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में शत्रु संपत्ति की 180 करोड़ से अधिक की जमीन पर कब्जा लेने के लिए नोटिस जारी किया है. नोटिस में कब्जाधारकों को कहा गया है कि वो आज से अगले 30 दिन में जमीन का कब्जा यानी कि अभिरक्षक शत्रु संपत्ति भारत सरकार को दे दें. गृह मंत्रालय के इस नोटिस में हाईकोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया गया है कि माननीय हाईकोर्ट का आदेश भी उनके पक्ष में आया है. 


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यूपी में सबसे ज्यादा शत्रु संपत्ति, नोएडा में यहां सबसे ज्यादा


केंद्र सरकार यानी गृह मंत्रालय के हालिया एक्शन की बात करें तो भारत में करीब 12 हजार 600 से ज्यादा संपत्तियों को शत्रु संपत्तिों को चिन्हित/घोषित किया जा चुका है. इनकी कीमत अरबों रुपये है. यूपी के नोएडा की बात करें तो इस एक्शन में सबसे ज्यादा 142 करोड़ की जमीन बरौला में है. ये इलाका नोएडा के सेक्टर 49 के दायरे में आता है. यहां शत्रु संपत्ति पर बहुत बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हो चुका है. उसे भी अपने कब्जे में लेना सरकार की चुनौती है. इसके अलावा दनकौर और शाहबेरी में करोड़ों की शत्रु संपत्ति पर सरकार को कब्जा लेना है. शाहबेरी में तो इस मामले में सीबीआई की एंट्री हो चुकी है. 


SDM दादरी का बयान


इस मामले को लेकर दादरी के एसडीएम आलोक गुप्ता ने कहा, 'गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार इस मामले में कार्रवाई की जाएगी और शत्रु संपत्ति की जमीन को कब्जा मुक्त कराया जाएगा. इसकी तैयारी शुरू हो गई है.' आपको बताते चलें कि देश में यूपी में सबसे ज्यादा 6 हजार 255 शत्रु संपत्तियां हैं. उसके बाद बंगाल और दिल्ली का नंबर आता है. 


क्या होती है शत्रु संपत्ति?


आसान भाषा में समझे को शत्रु संपत्ति वह संपत्ति होती है जिसमें संपत्ति का दुश्मन कोई व्यक्ति ना होकर देश होता है. बंटवारे के समय करोड़ों लोग पाकिस्तान चले गए लेकिन वह अपनी संपत्ति यहीं छोड़ गए. ऐसी संपत्ति शत्रु संपत्ति कहलाई गई. वहीं जो लोग 1965 और 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान में जाकर बस गए. उनकी सारी अचल संपत्ति भी शत्रु संपत्ति के दायरे में आ गई. यानी भारत सरकार ने पाकिस्तानी राष्ट्रीयता लेने वालों की संपत्तियों और कंपनियों को अपने कब्जे में ले लिया. आपको बताते चलें कि शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 भारतीय संसद से पारित है. इसके तहत ऐसी संपत्तियों पर भारत सरकार का कानूनन अधिकार होता है. 


मोदी सरकार ने किया संशोधन


केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2017 में इस कानून में संशोधन किया था. 7 मार्च 2017 को मोदी सरकार के कार्यकाल में इस कानून में संशोधन कर शत्रु संपत्ति की व्याख्या बदल दी गई थी. हालिया संशोधन के बाद अब ऐसे लोग भी शत्रु माने गए जो भले ही भारत के नागरिक हों लेकिन जिन्हें विरासत में ऐसी संपत्ति मिली है जो किसी पाकिस्तानी नागरिक के नाम है. वो भी इस शत्रु संपत्ति के दायरे में होगी. इसी संशोधन में सरकार को ऐसी संपत्ति बेचने का भी अधिकार दे दिया गया था. भारत सरकार के पास इन संपत्तियों को बेचने का अधिकार भी है.