नई दिल्ली: INX मीडिया हेराफेरी मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री व कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता पी चिदंबरम को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है. चिदंबरम के वकीलों ने बुधवार को स्पेशल लीव पिटीशन याचिका दायर करके अग्रिम जमानत देने की मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रमन्ना की बेंच ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. अब मुख्य न्यायाधीश यह फैसला करेंगे कि चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई हो या नहीं. उधर, सीबीआई ने पी. चिदंबरम के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है. 


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इससे पहले, चिदंबरम की याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई और ईडी की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चिदंबरम पर मनी लॉन्ड्रिंग का गंभीर आरोप है. आइए जानते हैं कि आखिर INX मीडिया केस क्या है जिसको लेकर पी. चिदंबरम मुश्किल में हैं.


दरअसल, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर एयरसेल-मैक्सिस को एफडीआई के अनुमोदन के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी को नजरअंदाज कर दिया था. ED के मुताबिक एयरसेल-मैक्सिस डील में तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी की अनुमति के बिना ही मंजूरी दी थी, जबकि ये डील 3500 करोड़ रुपये की थी.


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उनके बेटे कार्ति चिदंबरम पर हेराफेरी करने का आरोप है. कार्ति को मामले की जांच कर रही अन्य केंद्रीय एजेंसी, सीबीआई ने पिछले साल 28 फरवरी को गिरफ्तार किया था. उनपर आरोप है कि 2007 में आईएनएक्स मीडिया को एफआईपीबी की मंजूरी दिलाने के लिए उन्होंने कथित तौर पर पैसे लिए थे. 


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केंद्रीय एजेंसी ने सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया था. आईएनएक्स मीडिया को विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिए दी गई विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी में गड़बड़ियों का आरोप लगाया. यह मंजूरी दि‍ए जाने के दौरान पी चिदंबरम वित्त मंत्री थे.


 



एजेंसी ने कार्ति, आईएनएक्स मीडिया एवं उसके निदेशकों - पीटर एवं इंद्राणी मुखर्जी समेत सीबीआई की शिकायत में नामजद अन्य आरोपियों के खिलाफ प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की थी.