Mughal Emperor Humayun : अफीम के नशे में सीढ़ी से गिरा और मर गया, ऐसे हुई थी इस मुगल बादशाह की मौत
History of Humayun: बाबर (Babur) ने अपने चार बेटों में से हुमायूं को उत्तराधिकारी चुना था. मुगल बादशाह हुमायूं के पराक्रम के ज्यादा चर्चे इतिहास में नहीं मिलते हैं. हालांकि इसके इतर हुमायूं की मौत की कहानी की आज भी जमकर चर्चा होती है क्योंकि लोग उसकी मौत की हकीकत जानना चाहते हैं.
Mughal History Humayun: मुगल शासक हुमायूं (Mughal Emperor Humayun) का नाम तो इतिहास के पन्नों में कई दर्ज है, लेकिन जितना जिक्र उसके पिता बाबर और उसके बेटे अकबर का है, उतनी हुमायूं की बात नहीं होती है. चौसा और कन्नौज के युद्ध में भी हुमायूं (Humayun Wars) को हार का सामना करना पड़ा था. कहा जाता है कि बाबर की मौत के बाद हुमायूं के शासनकाल में मुगल साम्राज्य की नींव हिल गयी थी. वहीं हुमायूं को बिहार में शेर खां और गुजरात में बहादुर शाह से मुकाबला करना पड़ा था.
मुगल सल्तनत और हुमायूं
बाबर (Mughal Emperor Babur) के सबसे बड़े बेटे हुमायूं (Mughal Emperor Humayun) का पूरा नाम नसीरुद्दीन हुमायूं था. उसका जन्म 1508 ई. (Humayun Birth Date) में हुआ था. जो 23 साल की उम्र में ही 30 दिसम्बर, 1530 को मुगल साम्राज्य (Mughal Empire) का शासक बन गया था. बाबर (Babur) ने अपने चार बेटों में से हुमायूं को अपना उत्तराधिकारी चुना था.
हुमायूं की मौत को लेकर कई बातें कही जाती हैं. हुमायूं की जिंदगी के किस्सों से ज्यादा चर्चा उसकी मौत की होती है. दरअसल, हुमायूं की मौत किसी युद्ध या किसी बीमारी से नहीं हुई थी, बल्कि एक दिन अचानक एक घटना हुई और हुमायूं की मौत हो गई. हालांकि, इस घटना को लेकर भी कई कहानियां हैं.
हुमायूं का शासनकाल
हुमायूं के शासनकाल (Life of Humayun) में मुगल साम्राज्य वर्तमान पाकिस्तान से लेकर अफगानिस्तान तक फैला था. 30 दिसंबर, 1530 को हुमायूं ने गद्दी संभाली थी. हुमायूं की मौत गद्दी पर रहते हुए 48 साल की उम्र में एक हादसे (How Did Humayun Died) में हो गयी थी. मुगल सल्तनत की नींव रखने वाले बाबर के बेटे हुमायूं के बारे में कई बातें चर्चा में रहीं. इसमें से एक थी अफीम का नशा. यही नशा उसकी मौत की वजह बन गया था.
हुमायूं की मौत का किस्सा
हुमायूं की मौत के किस्से का जिक्र उसकी जीवनी हुमायूंनामा में लिखा है. उसकी बहन गुलबदन के मुताबिक 24 जनवरी, 1556 को हुमायूं ने गुलाब जल मंगवाया और कुछ अफीम ली. हुमायूं को अफीम की लत थी. वो दोपहर का समय था. आसमान में बादल छाए हुए थे. तभी हुमायूं को हज यात्रा से लौटे कुछ लोगों की जानकारी मिली तो हुमायूं ने उन्हें मुलाकात के लिए उस लाइब्रेरी में बुलाया, जो महल की छत पर बनी थी. छत पर मिलने की वजह एक तरह का परस्पर सांकेतिक संवाद भी थी. दरअसल छत से हुमायूं महल के बगल में बनी मस्जिद में जुमे की नमाज के लिए पहुंचे लोगों को देखता था इस तरह उसकी प्रजा भी अपने बादशाह का दीदार कर लेती थी.
दबे पांव आई मौत
हुमायूनामां में लिखा है कि उस दिन बहुत ज्यादा ठंड थी. तेज शीतलहर चल रही थी. हुमायूं अफीम के नशे में था. वो सीढ़ियों से नीचे उतरने लगा. उसने दूसरे पायदान पर पैर रखा ही था कि मस्जिद से अजान की आवाज सुनाई दी. धार्मिक शख्स होने के कारण हुमायूं ने अजान सुनते ही वहीं सीढ़ी पर बैठने की कोशिश की. इस दौरान उनका पैर लड़खड़ाया और वो ऐसे फिसला कि सीधे सिर के बल नीचे गिरा. उसे सिर में इतनी गंभीर चोट लगी थी कि उसके दाहिने कान से तेजी से खून निकला और उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया.
हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे