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Waqf Board Amendment Bill: अपनी असीमित ताकत के चलते वक्फ बोर्ड (Waqf Board) आजादी के बाद से ही एक तबके में सुर्खियों का विषय रहा है. सर्वशक्तिमान वक्फ बोर्ड के अधिकारों की चर्चा यूं तो दबे-छिपे दशकों से लोगों की जुबान पर थी, लेकिन सोशल मीडिया के युग में इसकी हिस्ट्री-जियोग्राफी की खुलकर चर्चा होने लगी है. लोग खुले आम इसके नफे-नुकसान के बारे में बातें करके उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं. इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर है कि बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र की NDA सरकार अब वक़्फ़ बोर्ड को लेकर इसी संसद सत्र में एक बिल ला सकती है. इसे लेकर वक्फ बोर्ड के पैरोकार उलझन में हैं. वहीं दूसरी ओर सरकार से जुड़े लोगों का तर्क है कि इस संशोधन बिल से वक़्फ़ बोर्ड के अधिकारों और मनमानी पर अंकुश लग जाएगा.


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वक्फ बोर्ड संशोधन बिल क्यों लाना चाहती है सरकार?


कुल मिलाकर मोदी सरकार वक्फ बोर्ड अधिनियम में एक महत्वपूर्ण और व्यापक संशोधन की तैयारी कर चुकी है, सूत्रों के मुताबिक मसौदा तैयार है जो इस हफ्ते संसद में पेश किया जा सकता है. इस प्रस्तावित संशोधन का उद्देश्य वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उनके द्वारा संपत्तियों की वर्गीकरण को नियंत्रित करना है. 1954 में लागू हुआ वक्फ बोर्ड अधिनियम, एक ऐसा कानून है जो वक्फ संपत्तियों की प्रबंधन और प्रशासन के लिए उत्तरदाई होता है. वक्फ संपत्तियां वह संपत्तियां होती हैं जो मुस्लिम धर्मावलंबियों द्वारा धार्मिक या समाजिक उपयोग के लिए दान की जाती हैं और इनका प्रबंधन वक्फ बोर्ड करता है. वर्तमान कानून के तहत वक्फ बोर्ड को उन संपत्तियों को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में घोषित करने का अधिकार होता है, जो विशेष रूप से वक्फ के उद्देश्यों के लिए दान की गई होती हैं.


 


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सोशल मीडिया खासकर वाट्सएप पर इसे लेकर अक्सर वायरल होती रहती हैं पोस्ट


सोशल मीडिया पर मौजूद लोगों की माने तो इसके विरोधियों का कहना है कि इस बोर्ड के पास ऐसी ताकत है, जो किसी से भी उसका घर छीन सकती है. वहीं इसका समर्थन करने वाले लोगों का कहना है कि हमारे लोगों को जानबूझकर टारगेट किया जा रहा है. ये वक्फ बोर्ड के खिलाफ हो रहा दुस्प्रचार है, इसकी न कोई खास मंशा है और ना ही छिपा एजेंडा, इसे लेकर लोगों को डराया जा रहा है. 


(इनपुट: संवाददाता रविंद्र कुमार RAVINDRA KUMAR)