Whistling inside house is not sexual harassment: बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने छत से सीटी बजाकर एक महिला की इज्जत से खिलवाड़ करने के आरोप में 3 आरोपियों को अग्रिम जमानत दे दी है. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि केवल इसलिए कि किसी शख्स ने अपने घर में कोई आवाज दी, उसे हम सीधे तौर पर महिला के प्रति यौन इरादा नहीं कह सकते हैं.


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घर से सीटी मारना यौन उत्पीड़न नहीं: Bombau High Court


'टाइम्स ऑफ इंडिया' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सीटी मारने के बाद पड़ोसियों को जेल भिजवाने के इस मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस अभय वाघसे की बेंच ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अगर कोई शख्स छत किसी महिला को सीटी मारता है तो यह यौन इरादा नहीं होगा.


सेशन कोर्ट से नहीं मिली थी राहत


आरोपियों की बात करें तो अहमदनगर के रहने वाले तीन युवकों लक्ष्मण, योगेश और सविता पांडव पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम यानी SC-ST Act के तहत केस दर्ज किया गया था. सेशन कोर्ट ने तीनों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इसी आदेश के खिलाफ तीनों आरोपियों ने हाईकोर्ट का रुख किया था. 


मोहल्ले में उस दिन क्या हुआ था?


पुलिस में दर्ज FIR के मुताबिक, सभी आरोपी और पीड़िता पड़ोस में रहते हैं. पीड़िता का आरोप है कि योगेश उसे गंदी नजर से देखता है. उसका कहना है कि शुरुआत में उसने योगेश को इग्नोर करने की कोशिश की. लेकिन 28 नवंबर 2021 को योगेश ने अपने घर से उसका वीडिया बनाया. पीड़िता ने ये भी कहा, 'जब उसके पति ने योगेश के मकान मालिक से इसकी शिकायत की तो उसने इस मामले में कोई ध्यान नहीं दिया. इसके बाद योगेश का हौसला बढ़ गया तो उसने मुझे जातिसूचक गालियां दीं. योगेश मोबाइल से निकाली गईं मेरी तस्वीरें दूसरों को दिखा रहा था. मेरे मना करने के बाद भी उसने अपनी ओछी हरकतें बंद नहीं की.'


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