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नई दिल्ली: भारत में बनी कोवैक्सीन को World Health Organization से मंजूरी क्यों नहीं मिल रही है? अगर आपने भी कोवैक्सीन की Dose लगवाई है तो आपको आज ये खबर जरूर पढ़नी चाहिए. खास तौर पर उन लोगों को जो विदेश जाने के बारे में सोच रहे हैं.


111 दिन बाद भी Covaxin को नहीं मिली मंजूरी


Covaxin को हैदराबाद की Bharat Biotech कंपनी ने विकसित किया है, जिसने 9 जुलाई को पहली बार वैक्सीन से संबंधित डेटा WHO में भेजा था और वैक्सीन के Emergency Use की मंजूरी मांगी थी. इस प्रक्रिया में ज्यादा से ज्यादा 6 से 9 हफ्तों का समय लगता है. यानी अगर आज किसी कंपनी ने अपनी वैक्सीन का डेटा जमा कराया है तो WHO 6 से 9 हफ्तों में ये बता देता है कि उस वैक्सीन को Emergency Use की मंजूरी मिलेगी या नहीं. इस हिसाब से Covaxin को अगस्त या सितंबर महीने तक इस्तेमाल की इजाजत मिल जानी चाहिए थी, लेकिन आज 111 दिन बीत जाने के बाद भी इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है.


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7 वैक्सीन को मंजूरी दे चुका है WHO


26 अक्टूबर को WHO के Technical Advisory Group ने इस पर बैठक जरूर की थी. लेकिन इसमें भी कोई नतीजा नहीं निकला और इस ग्रुप ने ये तय किया कि वो इस मामले में कंपनी से और विस्तृत जानकारी चाहता है. ताकि इस मामले में कोई शक बाकी ना रहे. ये अच्छी बात है कि WHO Covaxin के मामले में बारीकी से जांच कर रहा है और करनी भी चाहिए. लेकिन यहां सवाल ये है कि अब तक जिन दूसरी Vaccines को उसकी तरफ से Emergency Use का सर्टिफिकेट मिला है, क्या उनमें भी इसी प्रक्रिया का पालन हुआ था? अब तक WHO कुल 7 Vaccines को Emergency Use Listing Certificate दे चुका है.


भारत की Covishield को मिल चुकी है मंजूरी


इनमें दो वैक्सीन अमेरिका में बनी हैं. एक है Moderna और दूसरी है फाइजर वैक्सीन. ब्रिटेन में बनी Astrazeneca वैक्सीन को भी WHO से मंजूरी मिल चुकी है. यही वैक्सीन भारत में Covishield के नाम से लोगों को लगाई जा रही है और इसे भी अलग से WHO ने इजाजत दे दी है. इसके अलावा इस सूची में Johnson & Johnson वैक्सीन भी है और चीन की भी दो वैक्सीन हैं, जिनका नाम Sinovac और Sinopharm है.


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ये वो वैक्सीन हैं, जिन्हें WHO से Approval लेने में कोई परेशानी नहीं हुई. अमेरिका की फाइजर वैक्सीन को तो डेटा जमा करने के 6 हफ्ते बाद ही Emergency Use की इजाजत मिल गई थी. जबकि Moderna को इसके लिए केवल 9 हफ्तों का इंतजार करना पड़ा था. इसके अलावा ब्रिटेन की Astrazeneca वैक्सीन को भी 9 हफ्तों में ग्रीन सिग्नल मिल गया था और चीन के मामले में तो WHO ने असली डेटा से भी समझौता कर लिया.