दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर की एक्टिंग से सजी 'पद्मावती' एक दिसंबर को रिलीज होने जा रही है. इस फिल्‍म का पहला पोस्‍टर 21 सितंबर को जारी किया गया है. इस फिल्‍म में दीपिका पादुकोण ऐतिहासिक चरित्र रानी पद्मावती का रोल निभा रही हैं. पोस्‍टर में भी उनको हाथ जोड़े मुद्रा में दिखाया गया है. यह फिल्‍म निर्माण के दौरान ही चर्चित रही और विवादों में घिर गई. दरअसल इस साल जनवरी में इस पीरियड फिल्‍म की शूटिंग के लिए फिल्‍म मेकर संजय लीला भंसाली जब जयपुर गए तो वहां पर राजपूत समाज से जुड़े संगठन ने विरोध प्रदर्शन करते हुए उन पर हमला बोल दिया. विरोध करने वालों का कहना था कि फिल्‍म के निर्माण में ऐतिहासिक तथ्‍यों के साथ छेड़छाड़ की गई है और तथ्‍यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. हालांकि कुछ समय बाद वह विवाद तो शांत हो गया लेकिन उसके बाद से लगातार लोगों की दिलचस्‍पी ऐतिहासिक किरदार रानी 'पद्मावती' में बनी हुई है. ऐसे में रानी 'पद्मावती' से जुड़े तथ्‍यों पर एक नजर:     


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1. सबसे पहले कवि मलिक मुहम्‍मद जायसी की वजह से यह किरदार 15-16वीं सदी में सुर्खियों में आया. मलिक मुहम्‍मद जायसी ने 1540 ईस्‍वी के आसपास महाकाव्‍य 'पद्मावत' लिखा. उस कृति के मुताबिक रानी पद्मावती (पद्मिनी), चित्‍तौड़ के राजा रावल रतन सिंह की पत्‍नी थीं. उसके बाद ही इस पर सबसे पहले बहस शुरू हुई कि इतिहास के पन्‍नों में क्‍या रानी पद्मावती का नाम दर्ज है? या महज यह एक साहित्‍यक किरदार भर है? 


2. महाकाव्‍य 'पद्मावत' के मुताबिक वह अप्रतिम सौंदर्य की धनी थीं. उनकी खूबसूरती पर दिल्‍ली का शासक अलाउद्दीन खिलजी आसक्‍त था. लिहाजा 1303 में पद्मावती को हासिल करने के लिए खिलजी ने चित्‍तौड़ पर हमला कर दिया.


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3. राजपूतों की युद्ध में हार हुई और राजा रावल रतन सिंह मारे गए. विजय हासिल करने के बाद अलाउद्दीन खिलजी जब महल पहुंचा तो पाया कि रानी पद्मावती समेत राजपूत महिलाओं ने जौहर कर लिया था. 


4. जौहर मध्‍ययुग में एक ऐसी प्रथा थी जब राजपूत राजाओं के युद्ध में मारे जाने के बाद उनकी रानियां दुश्‍मन के चंगुल से बचने के लिए सामूहिक रूप से आत्‍मदाह कर लेती थीं.  


5. इस कहानी की प्रामाणिकता को लेकर इतिहासकारों में मतभेद रहा है. कई इतिहासकारों का मानना है कि इतिहास के पन्‍नों में अलाउद्दीन के जमाने में पद्मावती नाम के किसी किरदार का जिक्र नहीं मिलता. उनके मुताबिक पद्मावती केवल एक साहित्यिक किरदार थी. वे मानते हैं कि चारण परंपरा, लोक कथाओं, वाचक परंपरा और जनश्रुति के चलते यह किरदार सदियों से जीवित है.