Shiv Sena Controversy: सुप्रीम कोर्ट से उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने ठाकरे गुट की एक अर्जी को ठुकरा दिया है. इस अर्जी में ठाकरे ने शिवसेना पर दावे को लेकर इलेक्शन कमीशन की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी. बता दें कि महाराष्ट्र में उपजा सियासी संकट तो थम गया लेकिन अब भी विवाद इस बात पर है कि शिवसेना किसकी है. क्योंकि उद्धव गुट और एकनाथ शिंदे गुट दोनों ही शिवसेना पर अपना दावा ठोंक रहे हैं. 


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ठाकरे की अर्जी खारिज


सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि चुनाव आयोग शिवसेना के सिंबल विवाद मामले पर सुनवाई करे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग की कार्रवाई पर कोई रोक नहीं है. वहीं शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की ओर से दायर अर्जी खारिज कर दी.


EC न करे इस मामले में सुनवाई, ठाकरे ने लगाई थी ऐसी गुहार


बता दें कि उद्धव ठाकरे ने अर्जी में कहा था कि चुनाव आयोग को शिंदे ग्रुप (Eknath Shinde) की अर्जी पर सुनवाई से रोका जाए, जिन्होंने खुद को असली शिवसेना (Shivsena) बताते हुए मान्यता देने की गुहार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संवैधानिक बेंच ने 7 सितंबर को कहा था कि वह उद्धव ठाकरे ग्रुप (Uddhav Thackeray) की ओर से दाखिल उस अंतरिम अर्जी पर 27 सितंबर को सुनवाई करेगा.


ठाकरे गुट ने दी ये दलीलें


उद्धव ठाकरे की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें रखीं. सिब्बल ने कहा कि जो विधायक अलग हुए वो शिवसेना के थे. वो अलग होने पर अन्य पार्टी के साथ सरकार बना सकते थे लेकिन शिवसेना पर आधिपत्य के आधार पर सरकार नहीं बना सकते. सिब्बल ने कहा कि विधायक किसी अन्य पार्टी के साथ जाते हैं या अलग होते हैं तो वह पार्टी की सदस्यता खो देते हैं. वह खुद पार्टी पर कब्जा नहीं ले सकते. सिब्बल ने कहा कि पार्टी तोड़ने की स्थिति में वह विधानसभा में पार्टी के सदस्य के तौर पर कैसे आ सकते हैं.



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