कौन थे साधु वासवानी? जिनकी जयंती पर आज उत्तर प्रदेश में बंद रहेंगी मीट की दुकानें
Sadhu Vaswani Jayanti: साधु थानवरदास लीलाराम वासवानी एक भारतीय शिक्षाविद् थे, जिन्होंने शिक्षा में मीरा आंदोलन की शुरुआत की. उन्होंने हैदराबाद, सिंध (पाकिस्तान) में सेंट मीरा स्कूल की स्थापना की. विभाजन के बाद वह पुणे चले गए.
No Non-Veg Day: योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने साधु टीएल वासवानी की जयंती के उपलक्ष्य में 25 नवंबर को 'नो नॉन-वेज डे' घोषित किया है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि उपरोक्त तिथि पर राज्य भर में सभी मांस की दुकानें और बूचड़खाने बंद रहेंगे. जानते हैं कौन हैं साधु टीएल वासवानी: -
साधु थानवरदास लीलाराम वासवानी एक भारतीय शिक्षाविद् थे, जिन्होंने शिक्षा में मीरा आंदोलन की शुरुआत की. उन्होंने हैदराबाद, सिंध (पाकिस्तान) में सेंट मीरा स्कूल की स्थापना की. विभाजन के बाद वह पुणे चले गए. उनके जीवन और शिक्षण को समर्पित एक संग्रहालय, दर्शन संग्रहालय, 2011 में पुणे में खोला गया था.
हैदराबाद सिंध में हुआ था जन्म
साधु वासवानी का जन्म हैदराबाद सिंध (पाकिस्तान) में हुआ था. उन्होंने मैट्रिक पास किया और 1899 में बम्बई विश्वविद्यालय से बी.ए. किया. उन्होंने 1902 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से एम.ए. की डिग्री भी प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने अपनी मां से अपना जीवन भगवान और मनुष्य की सेवा में समर्पित करने की अनुमति मांगी.
उनकी मां चाहती थीं कि उनका बेटा जीवन में सफल हो. इसके चलते वासवानी अपने अल्मा मेटर, यूनियन अकादमी में शिक्षण कार्य करने के लिए सहमत हो गए. उनकी मां ने उनकी शादी करना चाहती थी लेकिन वासवानी ने ब्रह्मचारी बने रहने और कभी शादी नहीं करने की कसम खाई.
वासवानी ने जल्द ही कलकत्ता (अब कोलकाता) के मेट्रोपॉलिटन कॉलेज में इतिहास और दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में एक पद स्वीकार कर लिया. यहां में वासवानी अपने गुरु, प्रोमोथोलाल सेन मिले, जिन्हें नालुदा कहा जाता था.
विश्व धर्म सम्मेलन में दिया संदेश
जुलाई 1910 में, जब वासवानी 30 वर्ष के थे, तब वह और उनके गुरु प्रोमोथोलाल सेन के साथ मुंबई से बर्लिन के लिए रवाना हुए. अगस्त 1910 में, उन्होंने बर्लिन में वेल्ट कांग्रेस या विश्व धर्म कांग्रेस में भाग लिया। साधु वासवानी ने भारत के प्रतिनिधि के रूप में सम्मेलन में शांति, भारत की मदद का संदेश दिया.
वासवानी के जीवन और शिक्षण को समर्पित एक संग्रहालय, दर्शन संग्रहालय, 2011 में पुणे में खोला गया था. हर साल, साधु वासवानी मिशन, जो साधु टी.एल. वासवानी के जीवन और मिशन को आगे बढ़ाने का काम करता है, वासवानी के जन्मदिन, 25 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय मांस रहित दिवस (International Meatless Day ) के तौर पर मनाता है, क्योंकि उन्होंने शाकाहारी जीवन के सार्वभौमिक अभ्यास की दृढ़ता से वकालत की थी.