UP Politics: उत्तर प्रदेश विधानसभा की नौ सीट पर उपचुनाव के लिए प्रचार अभियान पर विराम लगने वाला है. ऐसे में सभी प्रमुख दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है, जबकि सभी सीट पर चुनाव लड़ रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का कोई भी बड़ा नेता प्रचार अभियान में नहीं दिख रहा है. उपचुनाव के लिए मतदान 20 नवंबर को होगा और सोमवार शाम से प्रचार अभियान पर विराम लग जाएगा, लेकिन बसपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ही अकेले नेता हैं जो अपनी पार्टी के लिए तैयारियों में लगे हुये हैं.


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आकाश आनंद भी नहीं दिखे
बसपा प्रमुख मायावती ने इन नौ सीट में से किसी भी उम्मीदवार के समर्थन में अभी तक कोई जनसभा या रैली में भाग नहीं लिया है. यहां तक कि पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक एवं बसपा प्रमुख के भतीजे आकाश आनंद और पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में तीसरे नंबर पर मौजूद पूर्व राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र भी किसी उम्मीदवार के पक्ष में माहौल बनाने नहीं उतरे हैं. हालांकि, मिश्रा ने दावा किया है कि उनकी पार्टी उपचुनावों में बेहद मजबूती से लड़ रही है.


उन्होंने शुक्रवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘बसपा बहन मायावती जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की नौ सीट पर हो रहे उपचुनाव में बेहद मजबूती से लड़ रही है. लोगों से अपील करता हूं कि बसपा से जुड़ेंगे तो आगे बढ़ेंगे एवं सुरक्षित भी रहेंगे. भाजपा और सपा से दूर रहेंगे तो बचे रहेंगे.’’


पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने न्‍यूज एजेंसी PTI से कहा, ‘‘बहन जी (मायावती) के आदेश पर मैं और पार्टी के समन्वयक और जिलाध्यक्ष उपचुनाव वाली सभी नौ सीट पर पार्टी के प्रत्याशियों के लिए प्रचार कर रहे हैं.’’


पाल ने कहा, ‘‘बहन जी का संदेश लेकर हम लोग उपचुनाव वाली सभी सीट पर जा रहे हैं और अपने कार्यकर्ताओं को पूरी तरह उत्साहित कर रहे हैं. आप देखिएगा कि उप चुनाव में बसपा के पक्ष में बहुत अच्छे परिणाम आयेंगे, जो अन्य दलों को चौंका देंगे.’’


यह पूछे जाने पर कि पार्टी प्रमुख मायावती और राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद ने भी अभी तक कोई रैली या जनसभा नहीं की है, इस पर उन्होंने कहा, ‘‘बहन जी और आकाश भैया झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में व्यस्त हैं, इसके अलावा मुझे अपनी पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं का कोई आदेश या निर्देश नहीं मिला है.’’


यह पूछे जाने पर सोमवार को प्रचार के आखिरी दिन में मायावती या आकाश आनंद उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में प्रचार करेंगे या नहीं इस पर बसपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, ‘‘अभी तक हमारे राष्ट्रीय नेताओं के उत्तर प्रदेश उपचुनावों के बारे में ऐसे किसी कार्यक्रम की जानकारी नहीं है.’’


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उम्‍मीदवारों का क्‍या है कहना?
बड़े नेताओं की बेरुखी से पार्टी के उम्मीदवारों के मनोबल पर असर पड़ रहा है और वे अकेले अपने दम पर माहौल बनाने में जुटे हैं. 


कानपुर की सीसामऊ सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए बसपा प्रत्याशी वीरेंद्र कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘चुनाव प्रचार तो अच्छे से जारी है. पार्टी कार्यकर्ता जी जान से लगे हैं. हमने पार्टी कार्यालय से पार्टी अध्यक्ष बहन जी (मायावती) और आकाश भैया का कार्यक्रम मांगा था. बहन जी या आकाश भैया में से कोई एक भी हमारे सीसामऊ क्षेत्र में आ जाता तो प्रचार में चार चांद लग जाते.’’


आंबेडकर नगर की कटेहरी सीट से बसपा प्रत्याशी अमित वर्मा ने कहा, ‘‘कटेहरी बसपा का गढ़ हैं, बहन जी (मायावती) ने ही यह जिला बनाया था. हमने पार्टी कार्यालय से बड़े नेताओं का कार्यक्रम मांगा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. अगर बहन जी या कोई अन्य नेता चुनाव प्रचार में आ जाता तो पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह दोगुना हो जाता.’’


वर्मा ने दावा कि बसपा कटेहरी का उपचुनाव जीत रही हैं. उन्होंने कहा, ‘‘कार्यकर्ता दिन रात मेहनत कर रहे हैं. इसके अच्छे परिणाम सामने आएगा.’’


योगी-अखिलेश ने लगाया जोर
इसके विपरीत, अधिकांश राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों के लिए प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत अन्य बड़े नेता मैदान में उतरकर अपने उम्मीदवारों के पक्ष में माहौल बना रहे हैं.


उत्तर प्रदेश में जिन नौ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने जा रहे हैं उनमें कटेहरी (आंबेडकरनगर), करहल (मैनपुरी), मीरापुर (मुजफ्फरनगर), मझवां (मिर्जापुर), सीसामऊ (कानपुर शहर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज), कुंदरकी (मुरादाबाद) और गाजियाबाद शामिल हैं.


इनमें से आठ सीट मौजूदा विधायकों के लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद खाली हुईं. सीसामऊ सीट पर उपचुनाव सपा विधायक इरफान सोलंकी को अयोग्य ठहराए जाने के कारण हो रहा है, जिन्हें एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया था.


वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर और कुंदरकी सीट पर सपा ने जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर सीट अपने नाम करने में कामयाब रही थी.


मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के खाते में गई थी, जो अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में भाजपा की सहयोगी है. कांग्रेस उपचुनाव नहीं लड़ रही है. उसने ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) की सहयोगी सपा को समर्थन देने की घोषणा की है.