Emergency Landing: प्लेन (Aircraft) की इमरजेंसी लैंडिंग (Emergency Landing) की खबरें आपने जरूर पढी होंगी. प्लेन में बैठते हुए आपने इस तरह की नौबत न आने की दुआ भी शायद मांगी हो. आज हम आपको इमरजेंसी लैंडिंग के बारे में कुछ जरूरी बाते बताने जा रहे हैं . जैसे कि आपात लैंडिंग क्यों की जाती है कि और इस दौरान पायलट (Pilot) क्या करता है.


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विमान ईंधन क्यों गिरा देता है पायलट?
क्या आप जानते हैं कि आपात लैंडिंग के दौरान पायलट विमान ईंधन गिरा देता है. लेकिन अब सवाल है कि अगर पायलट ऐसा करता है तो विमान उड़ता कैसे रहता है. दरअसल पायलट लैंडिंग के लिए पेट्रोल बचाकर रखता है.


दूसरा सवाल जो आपके मन में उठ रहा होगा कि पायलट विमान का ईंधन गिरा (Aircraft fuel) क्यों देता है. इसकी वजह यह है कि अगर ईंधन भर हुए विमान को लैंड किया जाएगातो यह धरती पर तेजी से गिरेगा और इससे कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है. 


एक मजेदार बात और है कि विमान से ईंधन गिरता है वह धरती पर नहीं पहुंच पाता. यह ईंधन हवा में ही मिलकर धुआं हो जाता है.


इमरजेंसी लैंडिग में पायलट ईंधन के साथ भी लैंडिग कर सकता है लेकिन यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. विमान के पेट्रोल को जला देना एक ऑप्शन है लेकिन हवा में उड़ते प्लेन में यह करना आसान नहीं है बल्कि कई बार यह असंभव होता है. आपातकालीन स्थिति में विमान के ईंधन को हवा में निकाल देना उसे जला देने के बजाय काफी आसान और सुरक्षित भी है. 


क्या आपात लैंडिंग एक ही तरह की होती है?
इमरजेंसी लैंडिंग दरअसल तीन तरह की होती है. इंजन फेल होने के स्थिति में जो आपात लैंडिंग (Force Landing) की जाती है उसे फोर्स लैंडिंग कहते हैं.


प्रीकाशनरी लैंडिंग (Precautionary Landing) या एहतियाती लैंडिंग, प्लने में आग लगने की संभावना होने पर, ईंधन की कमी होने पर,  मौसम के खराब होने या किसी की तबियत बिगड़ने पर की जाती है। ऐसे में कोई जोखिम नहीं लिया जाता है और विमान को आपात स्थिति में उतारा जाता है.


आपात स्थिति में अगर प्लेन को पानी की सतह पर उतरना पड़ता है तो उसे डिचिंग लैंडिंग (Ditching Landing) कहते हैं.