जब एक सास ने निभाया मां का फर्ज, समाज में पेश की अनोखी; इमोशनल कर देगी ये कहानी
Widow daughter in law marriage after mother in law permission : कमला देवी के मुताबिक 5 साल की मेहनत के बाद उनकी विधवा बहू का सेलेक्शन पहले अटैंप्ट में लेक्चरर पद के लिए हुआ. जिसके बाद सास ने बहू को बेटी मानते हुए बड़ा कदम उठा लिया.
आनंद पारिक, सीकर: राजस्थान (Rajasthan) के सीकर (Sikar) जिले स्थित फतेहपुर शेखावाटी (Fatehpur Shekhawati) के करीब स्थित ढाढ़ण गांव की टीचर कमला देवी ने अपने बेटे सुभम की विधवा सुनीता की शादी (Widow daughter in law marriage) करवाकर समाज मे एक सकारात्मक बदलाव का संदेश दिया है.
मां के हौसले की कहानी
कमला देवी ने बताया कि उनका बेटा सुभम सितंबर 2016 में डॉक्टरी की पढ़ाई (MBBS) करने किर्गिस्तान गया था. नवंबर 2016 में रूस (Russia) में ब्रेन स्ट्रोक होने से उस की मृत्यु हो गई थी. दुख का पहाड़ झेलने वाली मां ने खुद को मजबूत रखने के साथ बहू का हौसला बढ़ाने के साथ उसे बेटी मानते हुए इंटर पास सुनीता को बीए (BA) और बीएड करवाने के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रेरित करते हुए सरकारी नौकरी की तैयारी करवाई.
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पांच साल में लेक्चरर बनीं बहू
कमला देवी के मुताबिक पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद पिछले साल 2021 में पहले ही प्रयास में उनकी बहू का सेलेक्शन इतिहास विषय मे लेक्चरर पद के लिए हो गया. अब उनकी पुत्र वधु चूरू जिले के सरदारशहर के नैणासर में पढ़ाती है.
पैरों पर खड़ी हुई तो कराई शादी
अध्यापिका कमला का एक सपना पूरा हुआ यानी बहू जब अपने पैरों पर खड़ी हो गई तो उन्होंने समाज में नई मिसाल पेश करने का फैसला लेते हुए सभी को हैरान कर दिया. उन्होंने अपनी विधवा पुत्रवधू का विवाह सीकर जिले के चंदनपुरा निवासी मुकेश पुत्र हेतराम मावलिया से कराया.
शादी समारोह के दौरान कमला बांगड़वा ने कन्यादान सहित सभी रस्म और रिवाजों को पूरा किया जो वधू के माता पिता निभाते हैं. विधवा बहू का पुनः विवाह करवाने पर अब ग्रामीणों सहित पूरे शेखावाटी इलाके के लोग इसे एक बड़ा बदलाव बताते हुए बांगड़वा परिवार की तारीफ कर रहे हैं.
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